Book Title: Jain Agam Sahitya Manan aur Mimansa
Author(s): Devendramuni
Publisher: Tarak Guru Jain Granthalay
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शब्दानुक्रमणिका
७४७
पंचकल्पलधुभाष्य ४८२
... पन्नवणा २५४ पंचभूतवादी ८३
पन्यास जयविजयजी ५४८ पंचमुष्टिलोच २६१
पर्याप्त २३७, २४४ पंचसिद्धान्तिका ३२६
पर्याय १००,२४०, २४५, २०७ । पंचाशकग्नन्थ ५१८
पर्यायाधिक नय ३२५ पंचास्तिकाय १२६,५८३
पर्युषण ३५२, ३५३ पंडित ११८
पर्युषण पर्व विचार ५५१ पंडित आषाधरजी ५६३,५६६ . पर्युषणा ३५२, ३५३ पंडित जुगलकिशोरजी मुख्त्यार ५९० पर्युषणा कल्प ३५२ पंडित टोडरमलजी ५६४, ५६६ पर्युषणा काल ४५३ पंडित दलसुखभाई मालवणिया ४६०, पर्युषणाष्टाह्निका व्याख्यान ५५१
परमाणु ११८, १२०, २१३, २३५, पंडित द्यानतराय ५६६
२३६,२४०, ५८६ पंडित नाथूराम ५६०
परमाणु पुद्गल ११६ पंडित बेचरदासजी दोशी १६, १३१, परमाणुवादी २४१ १८७,५५१
परलोकाशंसा प्रयोग १५६ पंडितमरण ७३, २६३, ५०४
परव्यपदेश १५१ पण्डित मुनिश्री नथमलजी ५५६ परविवाहकरण १४४ पंडित मुनिश्री पुण्य विजयजी ३४५,५४५, परिग्रह १७४, १७७, १८४, ३१४, ६०७
परिचारणा २५३ पंडित विजयमुनिजी ५५५
परिणाम २४५ पंडित शोभाचन्द्रजी भारिल्ल ५५४ परिणामिकी ३१६ पंडित सुखलालजी १६
परिभोगषणा ३१२ पंडित श्री कल्याणविजयजी ३२४ परिवाजिका चोखा १३४ - पंडित हेमचन्द्रजी ५५५
परिशिष्ट पर्व ५७ पंथक १३३
परिषह २६२, २६३ पतञ्जलि ६१४
परिहार तप ४८४ पद्मकुमार २७२
परिहारविशुद्ध ३३६ पद्मप्रभमलधारी ५८४
परोक्ष ४६३ पद्मनन्दी मुनि ५७६, ५६७,५६९ परोक्षज्ञान ३२३ पद्मनाभ १३६
परोक्ष ज्ञान नय ३२३ पावरवेदिका २५५
पल्योपमा २५७, ३३७ पग्रसरोवर २६१
पश्यत्ता २५१, २५२ पद्मावती २७२ .
पृथक्त्वानुयोग १६, १७ पदार्थ ६७
पृथ्वी ११४, ११५

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