Book Title: Jain Agam Sahitya Manan aur Mimansa
Author(s): Devendramuni
Publisher: Tarak Guru Jain Granthalay

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Page 776
________________ ७४८ जैन आगम साहित्य : मनन और मीमांसा : परिशिष्ट प्रवचनसारोद्धार ५७९ प्रवर्तक ४८४ प्रविचारणा २५३ प्रवीचार २५३ प्रश्नव्याकरणवृत्ति ५२३ प्रश्नव्याकरणसूत्र ३५, ५८, १२६, १७०, १८५,५२३,६२६ प्रसिद्धवक्ता श्री सौभाग्यमलजी महाराज पृथ्वीकाय ११४, २३८ प्रकीर्णक २८६ प्रत्यक्ष ४६३ प्रत्यक्षज्ञान ३१६, ३२३ प्रत्याख्यान २४५ प्रत्याख्यान क्रिया अध्ययन १ - प्रत्यास्थानप्रवादपूर्व १६५ प्रत्याख्यानपूर्व ३०८ प्रतिपाती ३२१, ३२२ प्रतिभा गणित २७० प्रतिभा १५२-१५४ प्रतिमाधारी ७२ प्रतिमान ३३५, ३३६ प्रतिलेखन २६७ प्रतिश्रुति २५७ प्रत्येकबुद्ध २८३, २८४ प्रथमानुयोग १८, १९६, ६०१ प्रदीपिकावृत्ति ५४८ प्रदेशष्टि २४० प्रद्युम्नकुमार २७७ प्रद्युम्नसूरि २० प्रद्योत ४८६ प्रणिधि ३१४ प्रभवस्वामी ३१०, ३११, ५६२ . प्रभावकचरित्र २०, ५०६,५१५, ५१८ प्रभासतीर्थ २५६ प्रमाणशास्त्र ६३६ प्रमाणांगुल ३३६,३३७ - प्रमाणाहारी ४६६ प्रमाद ३०२ प्रमादस्थानीय ३०२ प्रयोग २४६ प्रलम्बसूरि ४६० प्रवचनमाता १०२, ३०० प्रवचनसार ५८०,५८१,५६२ . प्रसेनजित २५७ प्रक्षेपाहार ८८ प्रज्ञापना४ प्रज्ञापनाध्ययन २२६ प्रज्ञापनावृत्ति ५२७ . प्रज्ञापनासूत्र ३५, ४०, ४१, ५१२, ५२७, ५२८, ५६६, ५७४ प्रज्ञापनी २२७ प्रज्ञापनी भाषा २२७ प्रज्ञापारमिता २३१ पाँच अणुव्रत ६१२ पाँच चारित्र २४ पांच महाव्रत ३०० पाँच शील ६१२ पाँच समिति ३०० पाटण राजा भीमराव ५१६ पाटलीपुत्र ३५, ५६३ पाण्डकवन २६१ पातञ्जल योगसूत्र ६१४ पातिमुख ६२६ पादपोपगमन ७३ पादलिप्तसूरि ५२६ पानी ११४, ११५ पापश्रमण २६७ पापश्रमणीय अध्ययन २६७ पायासीसुत्त ६२६

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