Book Title: Jain Agam Sahitya Manan aur Mimansa
Author(s): Devendramuni
Publisher: Tarak Guru Jain Granthalay

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Page 794
________________ मत-सम्मत 0 (श्री देवेन्द्र मुनि जी के साहित्य पर विद्वानों के कुछ अभिप्राय) भगवान महावीर : एक अनुशीलन भगवान महावीर के २५००वें निर्वाण वर्ष पर महावीर के व्यक्तित्व को उजागर करने वाले छोटे बड़े कई ग्रन्थ प्रकाशित हुए हैं किन्तु प्राचीन मूल स्रोतों के आधार पर एवं आधुनिक दृष्टि से समन्वय द्वारा इस विषय पर जो ग्रन्थ प्रकाश में आये हैं, वे एक दो ही हैं। उनमें श्री देवेन्द्र मुनि शास्त्री का प्रस्तुत ग्रन्थ कई दृष्टियों से अप्रतिम है । सामान्य पाठक एवं शोधार्थियों के लिए समान रूप से उपादेय है । उनका अगाध पाण्डित्य सर्वत्र दृष्टिगोचर होता है। लेखक ने महावीर प्रस्तुत किया है। इस महावीर के चिन्तन के जीवन की विभिन्न घटनाओं को अनेकान्तवादी दृष्टिकोण से पुस्तक का असाम्प्रदायिक होना इसकी सबसे बड़ी उपलब्धि है। को प्रस्तुत करते समय मुनि जी ने विशुद्ध दार्शनिक के तार्किक चिन्तन का परिचय दिया है । वर्तमान समस्याओं के सन्दर्भ में भी महावीर के चिन्तन की सार्थकता पर लेखक ने अपने विचार इस पुस्तक में समाहित किये हैं। अनेक परिशिष्टों से युक्त यह कृति वास्तव में महावीर के जीवन और सिद्धान्त के विषय में एक सन्दर्भ-ग्रन्थ की पूर्ति करती है। गुजराती आदि भाषाओं में इसका अनुवाद प्रकाशित होना पुस्तक की सार्वभौमिकता का प्रमाण है । - संदर्शन सन् १९७६ दर्शनपीठ, इलाहाबाद डॉ० कमलचन्द सोगानी उदयपुर विश्वविद्यालय, उदयपुर (राज० ) [] जैन दर्शन स्वरूप और विश्लेषण श्री देवेन्द्र मुनि जी वर्तमान युग के समर्थ एवं अन्वेषक मनस्वी विद्वान है । जिस विषय को अपने प्रतिपादन का केन्द्र बनाते हैं उसकी अतल गहराई में प्रवेश करते हैं और छानबीन के सूक्ष्म तन्तुओं को भी स्पर्श करते हैं। जैनदर्शन पर यों तो इधर दो-एक दशकों में अच्छा प्रकाशन कार्य हुआ है । लेकिन प्रस्तुत कृति की अपनी एक अलग इयत्ता है। सरल, बोधगम्य भाषा में अपनी

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