Book Title: Jain Agam Sahitya Manan aur Mimansa
Author(s): Devendramuni
Publisher: Tarak Guru Jain Granthalay
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७४४ जैन आगम साहित्य : मनन और मीमांसा परिशिष्ट
दशाgतनियुक्ति ४३७, ४५२,
द्वारिका नगरी २७७३
५०५५११
दिगम्बर ५६४,६३४urren दिगम्बर ग्रन्थ २०१, ५६४ दिगम्बर दृष्टि ५६५
दिगम्बर परम्परा १५, ३६, ४४, ५८,
७६ १६६, ३०६, ५६४, ५६६, ५८०, ५८७
दस आश्चर्य १०० दस धर्म ६६
दस पहन्ना ३१ दसवेकालिय ३०६ दसवेतालिय ३१० दस समाधिस्थान २६७
दस सुख १६
दक्षिणायन २६५, २६६, २७०
द्रव्य १००, २३०, २३६, २३६, २८७, ३२०, ३२१, ३२२
द्रव्य आवश्यक ३३३
२८७, २८८ दिगम्बराचार्य ६३७ दिशापरिमाणव्रत १४६
दिशाप्रेक्षक तापस २७४
द्रव्यदृष्टि २४०
द्वितीय भद्रबाहु २३, ३२६, ४३७, ४३६
द्रव्यप्रदेश २३६
द्वितीय शीलभद्रसूरि ५३८
द्रव्यलेश्या ३०३
द्रव्यसंग्रह ५६३, ५६६
द्रव्यस्वभावप्रकाश ५६८
दीघनिकाय ६१८, ६२६ दीक्षा २५८ द्वीन्द्रिय २३८, २५३ द्रव्यानुयोग १६, १७, १८, ४७, ८१, द्वीपायन ऋषि १६३ २८५, ३०५, ३३१, ६०२ दु:ख ११८ दृढ़प्रतिज्ञ २०३, २१५दुःखविपाक १९१, १९२ हृष्टान्त ३, २४ दुतिपलासचैत्य १५५ दुर्बलिकापुष्यमित्र १६, ३६, ३४४,
B
दृष्टिवाद ६, १०, ११, ३६, ४६, ८१,
१२०, १६३-१६५, २६६, ३२५, ५७० दृष्टिविपर्यास
३४५ दुर्विदग्धा ३१८ दुष्पक्वाहार १४७
She Trirat
दुषमा २५६, २५८ दुषमा-दुषमा २५६ दुषमा- सुषमा २५६२५८ मपुष्पिका ३११ दूष्यगणि ३२७ देव २१७, २२२, ४६३ ४९. देवकुरुः २६१
देवदत्ता १६१ देवद्ध ३२८
दिगम्बर मान्यता ५६४
दिगम्बर साहित्य ७६, १३१, १९६,
1962
दान १५१, २६४
दावद्रववृक्ष १३५ दावाग्निदानकर्म १४८ द्वादशांग ११, १२, १३, ५९६ द्वादशांगी ८, ९, ११, ४८, ४६, ५०,
१२६, १६१, ३२५, ४४१ द्वादशानुप्रेक्षा ५०६
द्वादशारनयचक्र ५१६ : द्वारिका १६३
चरक
Decem My da
134
22 यूपी
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