Book Title: Jain Agam Sahitya Manan aur Mimansa
Author(s): Devendramuni
Publisher: Tarak Guru Jain Granthalay

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Page 763
________________ ७३४ जैन आगम साहित्य : मनन और मीमांसा : परिशिष्ट आचाराग्र ५८ आचार्य पूज्यपाद ५८६ आचाल ६२ आचार्य भद्रबाहु ४३७, ५३२ आचार्य ६८,३१५, ४८४ आचार्य भूतबलि ५६६ आचार्य अकलंक १६, ६३, ११३, १३० आचार्य मलयगिरि २४, ४६, १३०, आचार्य अभयदेव ६,४६,५६,५८, ८०, २०६, २१६, २२७-२३१, २४०, ११, १०२, १०३, ११२, १२८, २४२, २५४, ३४४, ४३८, ४३६, १३०, १६१-१६३, १६७, १७३, ४५४, ५२४-५२६, ५३३, ५३५ १७४, २१६, २५१, ५१८, ५१६, आचार्य माधवचन्द्र ५६६ आचार्य मुनि धर्मसिंहजी ५५२ आचार्य अभयनन्दी ५६३ आचार्य यतिवृषभ ५७६ आचार्य अमृतचन्द्र ५८१,५८३ आचार्य रत्नसिंहजी ५५२ आचार्य अमोलक ऋषिजी ५५५ आचार्य वसुनन्दी ५६९ आचार्य आरातीय ५५ आचार्य वीरसेन ७६,११३, ५७५ आचार्य उमास्वाति १६, ६११ आचार्य शय्यम्भव २८,३०,३०८, ३०६, आचार्य कालक १६७, ४८६, ५०३ ४६७,५६२ आचार्य कुन्दकुन्द ५६४, ५७६, ५८०, आचार्य शिवनन्दीगणी ५६१ ५८८, ५८६, ५६२ आचार्य शिवार्य ५६१ आचार्य गुणधर ५७५ आचार्य शीलभद्र ५३६ आचार्य जयसेन ५८३ आचार्य शीलात ५५, ७०, १९६, ५१४आचार्य जिनचन्द्र ६० ५१६ ५२१, ५३८ आचार्य जिनदासगणि महत्तर १६१, आचार्य शुभचन्द्र ५६३ आचार्य सिद्धसेन ४५६ आचार्य जिननंदिगणी ५६१ आचार्य श्रीचन्द्र १६, ५३४ आचार्य जिनप्रभ १६ आचार्य श्री जवाहरलालजी महाराज आचार्य जिनभद्र ३२८, ४५६, ४६० ५५५ आचार्य जिनभद्रगणि क्षमाश्रमण ५१४ आचार्य श्री तुलसी ५५६ आचार्य जिनभट ५०६ आचार्य श्री हस्तीमलजी महाराज ५७, आचार्य जिनसेन ५७५, ५६१ आचार्य तोसलीपुत्र १६ आचार्य हरिभद्र २४, ६४, १६१, २३१, आचार्य देवद्धि ३२८ ४६०, ५०१, ५०६, ५१४, ५१८, आचार्य देवसेन ५६३ ५२७,५३६ आचार्य देवेन्द्र ३२६ आचार्य हरिभद्रसूरि ५२८ आचार्य नेमिचन्द्र ५६३ आचार्य हरिभद्र रचित तत्त्वार्थटीका आचार्य पृथ्वीचन्द्रसूरि ५५० ५२६ भाचार्य पुष्पदन्त ५६०, ५६५ आचार्य हेमचन्द्र ५७, १३०, ५२५, ५३६

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