Book Title: Jain Agam Sahitya Manan aur Mimansa
Author(s): Devendramuni
Publisher: Tarak Guru Jain Granthalay

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Page 765
________________ जैन आगम साहित्य : मनन और मीमांसा परिशिष्ट ७३६ आवश्यक मलयगिरिवृत्ति २२६ आवश्यकवृत्ति २४, ५२५, ५३५ आवश्यकव्यतिरिक्त २८०, ३०६, ३२६ आवश्यक सूत्र ३२१, ३३२, ४५४, ५१३ आशीविष ३१५ आषाढ़ ९७, ४४१ आसव १५५, ५८२ आस्रवद्वार १७४ आहारक २४५, २५१ आहारपद २५० आहारपरिज्ञा अध्ययन प इंगितमरण ७२ ७३ इच्छानिरोध ३०१ इच्छा परिमाणव्रत १४५ इत्वरिक परिगृहीतागमन १४४ इतिवृत्तक १२ इन्द्रभूति गौतम १५४, २५५ इन्द्रिय २५२ इन्द्रिय प्रत्यक्ष ३१६, ३३८ इन्द्रियाँ ६६, २४६ इषणा ७५ इस भद्रपुत्र ११६ इषुकार २६१, ६३४ इहलोकशंसा प्रयोग १५६ इक्षुकारीय अध्ययन २६६ ईर्यासमिति १७८ ईश्वर कारणवादी ८७ ईशान लोकपाल ११६ उत्पादपूर्व १९४ उत्तर २८१ उत्तरकुरु २२०, २६१ उत्तरबलिस्सहगण ६७ उत्तराध्ययन १७, २०, २२, २३, ३५, २२६, २७६ ३०५, ३०७, ३०६, ३१८, ५६१, ६१६, ६२२, ६३२, ६३४ उत्तराध्ययन चूर्णि २५६, ४६०, ४६८ उत्तराध्ययननियुक्ति २८८ ४६८ उतराध्ययनभाष्य ४५७ उत्तराध्ययनवृत्ति ५१६ उत्तरायण २६५, २६६, २७७ उत्सर्ग ७५, १७४, ३१२, ३१३, ३४७, ४५३ उत्सर्पिणी ६८, १२०, २५६, २५८, ३२१, ३३७ उत्सेवांगुल ३३६, ३३७ उदक ११५ उदय २५४ उदयन ११७ उदान १२ उद्दिष्टभक्तत्याग प्रतिमा १५३ उदीरणा २५४ उद्देहगण १७ उद्योगपर्व ६२१ उम्मान ३३५ उपक्रम ३३५ ईहा २४६, ३१६, ३२५, ३२६, ३४९, उपधानश्रुत ४५१ ४४०, ४६३ उज्जयिनी ५०३ उकुमार १८८ उडुवातितगण ६७ उत्कालिक ३०६, ३१६, ३३२ उत्पला १८८ उपधानश्रुत अध्ययन ७३ उपनिषद् ४ १२६, २३५, २४५ उपनिषद् साहित्य ५४३, ६०७२ उपभोग- परिभोग परिमाणव्रत १४६ उपभोग- परिभोगातिरेक १४६ - उपयोग ११८, २५१, २५२

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