Book Title: Jain Agam Sahitya Manan aur Mimansa
Author(s): Devendramuni
Publisher: Tarak Guru Jain Granthalay

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Page 764
________________ आचार्य ज्ञानविमल १७३ आजाई ६० आजीविक २६७ आठ आत्मा ६६ आठ मद ६६ आत्मवादपूर्व १९४, २२८, ३०८ आत्मा ३, ३४, ६५, ३०२, ३२३, ५८६ आत्मांगुल ३३६ आत्मा तवादी ३ आनयन प्रयोग १५० आनुपूर्वी ३३४, ३४० आप्त ५ आपात किरात २६० आम्रकुब्जासन ३५१ आर्द्र ककुमार ८९-९४, ४५.१ आर्द्र कपुर प आदान अध्ययन ८५ आदान- निक्षेपण समिति १७८ आदित्य २६६, २६६, ३३६ आदिपुराण ५६१, ५६२ आर्य सत्य ६१६ आनन्द १३६, १४०, १५२, १५४-१५६, आर्य समुद्र ४८६ १५६, ६१६, ६२७ आर्य सर्वगुप्त ५११ आर्य क्षेत्र ३५६, ४५३ आरातीय १३ आरातीय आचार्य २८८ ३२४ आभियोगिक देव २०७ आभोगनिवर्तित २४५, २५१, २५३ आमगंधसूत्र ३०७ आमलकप्पानगरी २०६ आम्रसाल चैत्य २०६, २०७ आम्नाय ४ आमोक्ख ६० शब्दानुक्रमणिका ७३५ आराधना कथाकोष ५६२ आभिनिबधिक ३१६. ३२०, ३२३, आराधना नियुक्ति ४५४ आराधना पञ्जिका ५६३ आयरिस ६२ आयंबिल वर्धमान १६५ आर्य ४८१ आर्य जम्बू ५६२ आर्य देश ५०५ आयार ६१ आयुष्य २३५, २४२ आर्य पुष्पभूति ४४३ आर्य मंगू ४८६ आर्य रक्षित १६, १७, ४२, १६८ २८५ ३४४, ३४५, ४४१, ४८६, ४२ आर्य वज्र ४४१ आर्य वज्र स्वामी १६, ३६, ७१, ३४४, ४६२ आर्य शाण्डिल्य ३२७ आर्य श्यामाचार्य ५७० आर्य शिवनंदिगणी ५६१ आर्य शिल्प ४१ आर्य शौण्डिल्य ३२७ आराधना पताका ४५४ आरोप्य ६१ आलम्भिका ११६ आलोचना ४८४ आवश्यक २२, २३, ३३२, ४३८, ४६४ आवश्यकचूर्णि ५७ २२६, ४५४, ४९०, ४६१, ४६५, ५६३ आवश्यक नियुक्ति २३, २४४, ३२८, ३२६, ४३५, ४३६, ४६५, ४९७, ५१३ आवश्यकभाष्य ५६३

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