Book Title: Jain Agam Sahitya Manan aur Mimansa
Author(s): Devendramuni
Publisher: Tarak Guru Jain Granthalay

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Page 767
________________ क्रियाविशालपूर्व १९५ क्रियास्थान अध्ययन ८७ कीलकच्छाया २७० कुण्डकुण्डपुर ५७६ कुuentfer १३६. १५७ कुण्डरीक १३७ कुणाला जनपद २०८ कुन्दकुन्द ५८१ कुन्ती: १३६. कुप्रावचनिक ३३३ कुम्भ ६६, ६१६ कुम्भकारजातक २९१ कुम्भघर १२६ कुमारदेव २५६ कुमारसम्भव १६६ कुलकर १०३ कुशील अध्ययन ८३ कूटतुला- कूटमान १४४ कूटलेखक्रिया १४३ कूणिक २७१, २७२ केनोपनिषद् ६०६ केवल ३१६, ४६३केवलदर्शन २५८. केवलज्ञान २५८, २६१, ३२१, ३२२, ३२३, ४४० केवलज्ञानी ३२३ केवली ८, २३५ केवली समुद्धात २०४ केश वाणिज्य १४७ केशी ११७, ३०० केशी- गौतमीय २६१, ३०० केशीश्रमण २०६ - २१५ कोटिकaणीय ४५ कोटिnaणीय वस्वामी ४६० कोट्याचार्यं ५०६, ५१४, ५३७ शब्दानुक्रमणिका ७३६ कोडितगण ६७ कोणिक ५२१ कोकुन्द ५७६ क्रोध ३१५ की कुच्य १४६ कौशाम्बी ११७, १६४, १९० खंजनराग ११६ खंडपवाय गुहा २५६ खंडपात गुफा २६० खंदसिरि १८६ खरतरगच्छ ५१० खरतरगच्छीय मान्यता ५५० खलुंकीय ३०१ खोमिय ७६ गंग ६७ गंगदेव ११५ गंगादेवी २६० गंडकानुयोग १६६ गंधहस्तिन् ५१७ गंधहस्ती ५२१ गगंगोत्रीय गार्ग्यमुनि ३०१ गजसुकुमाल १६३, ५६३ N गणधर ६, ७, १२, ३०, ६०, ७८, ३१७, ३३०, ६३५ गणधर गौतम ६, ४६, १४, ११६, १२०, १२८, १५४, १५५, १५८, १८८१११, २०२, २१६, २७५, ३००, ४५१ गणधर ऋषभसेन २५८ गणधरवाद ४६०, ६३६ गणधर सुधर्मा ५०, ५२१ गणावच्छेदक ४८४ गणि ६०६ गणितमान ३३५, ३३६ गणितानुयोग १६, १७,४७ #

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