Book Title: Jain Achar
Author(s): Mohanlal Mehta
Publisher: Parshwanath Vidyapith

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Page 13
________________ ११ ७३ ७४ ७५ ५ ८३-१३२ निशोथ महानिशीथ जीतकल्प मूलाचार मूलाराधना रत्नकरंडक-श्रावकाचार वसुनन्दि-श्रावकाचार सागार-धर्मामृत अनगार-धर्मामृत ४. श्रावकाचार अणुव्रत गुणवत शिक्षाव्रत सल्लेखना अथवा संथारा प्रतिमाएं प्रतिक्रमण ५. श्रमण-धर्म महाव्रत रात्रिभोजन-विरमणव्रत षडावश्यक आदर्श श्रमण अचेलकत्व व सचेलकत्व वस्त्रमर्यादा वस्त्र की गवेषणा पात्र की गवेषणा व उपयोग आहार १०४ ११३ ११६ १२४ १३१ १३५-१९६ १३५ १४१ १४२ १५१ १५७ میں ان .. کن . کن

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