Book Title: Jain Achar Author(s): Mohanlal Mehta Publisher: Parshwanath Vidyapith View full book textPage 257
________________ अतुव्रामणिका : 243 97 111 स्वदेह-परिमाण स्वपति-मत्रभेद स्वपति-सतोप स्वरूपमिद्धि स्वादिम स्वाध्याय स्वाध्यायभूमि 21 हस्ताम 64,66,67 4 हस्तरेखा 68 हिमाप्रदान 38 हिमा-विरति 86 165 हिरण्य 103 68,185,186 हिरण्यसुवर्ण-परिमाण-अतिक्रमण 104 हीनयान हेतुवाद 40,69 हेमत 200,201 hna हरिभद्रPage Navigation
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