Book Title: Hemchandracharya Diwakar Chitrakatha 040
Author(s): Nityanandsuri, Shreechand Surana
Publisher: Diwakar Prakashan

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Page 4
________________ प्रातः एक पड़ोसन ने आकर कहा पाहिनी बहन, सुना है, आचार्यश्री देवचन्द्र सूरि जी नगर में पधारे हैं। दर्शन, करने चलोगी न ? ] हाँ-हाँ, ठहरो, अभी तैयार होती हूँ। इस बालक .को चंगदेव कहेंगे। कलिकाल सर्वज्ञ: हेमचन्द्राचार्य # वि. सं. ११४५ कार्तिक शुक्ल १५/ Jail Botication International पाहिनी उपाश्रय में आई। आचार्यश्री के दर्शन कर उसने रात के स्वप्न की बात कही। आचार्यश्री कुछ विचार कर बोले समय पर पाहिनी ने एक पुत्र को जन्म दिया। चाचिग सेठ ने पुत्र का जन्म महोत्सव मनाया। बुआ ने नाम रखा बहन ! तुम्हें एक श्रेष्ठ रत्न जैसा पुत्र प्राप्त होगा। तुमने वह रत्न मुझे दिया है, इसका अर्थ है, तुम मुझे शिष्य भिक्षा दोगी। For Private & Personal Use Only देखो, बालक का मुखड़ा कैसा चाँद सा चमक रहा है। www.jainelibrary.org

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