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कलिकाल सर्वज्ञ : हेमचन्द्राचार्य राजा विभोर होकर शिवशंकर के दिव्य रूप का दर्शन करता रहा। फिर एक दिव्य व
कुमारपाल ! धर्म के विषय में तुझे सन्देह है न? सूरीश्वर के वचनों पर विश्वास कर ! तेटी सभी मनोकामनाएँ। सफल होंगी।
शिवशंकर अदृश्य हो गये। राजा ने आँखें खोलीं
गुरुदेव ! लग रहा है जैसे मैंने कोई दिव्य स्वप्न देखा है। मेटी यात्रा सफल हो गई।
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