Book Title: Hemchandracharya Diwakar Chitrakatha 040
Author(s): Nityanandsuri, Shreechand Surana
Publisher: Diwakar Prakashan

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Page 34
________________ इस यात्रा के बाद आचार्य श्री हेमचन्द्रसूरि के प्रति सम्राट् कुमारपाल की गहरी श्रद्धा जम गई। उसने आचार्यश्री से निवेदन किया आपने माँस, मदिरा त्याग का संकल्प कराया जिसके कारण मेरे सब रूके हुए कार्य पूरे हो गये। अब मैं जीवन भर के लिए माँस, मदिरा का त्याग करना चाहता हूँ और अज्ञानवश अब तक माँस भक्षण का पाप किया है उसका प्रायश्चित्त भी। कलिकाल सर्वज्ञ : हेमचन्द्राचार्य राजन् ! पापों से मुक्त होने के लिए बत्तीस जिनालयों का निर्माण करवाओ। हमारे पूरे राज्य में माँस, मदिरा आदि बुराइयों को मिटा देना चाहिए। इन बुराइयों के प्रति जनता के मन में) नफरत जगाओ। Jain Education International एक दिन कुमारपाल ने वाग्भट्ट मंत्री मंत्री ने सात पुतले बनवाकर एक विचित्र जुलूस निकाला। यह विचित्र जुलूस देखकर सैकड़ों लोगों ने इन वृत्तियों का त्याग किया। से कहा देश से निकालो आचार्यश्री के मार्गदर्शन से कुमारपाल ने तीर्थंकरं के २४ मन्दिर तथा श्रुत देवी आदि के कुल ३२ मन्दिरों का निर्माण करवाया। १. माँसाहार करने वालों को २. शराब पीने वालों को ३. जुआरियों को ४. शिकार करने वालों को ५. चोरी करने वालों को ६. स्त्रियों को सताने वालों को ७. लड़कियों के सौदागरों को आचार्यश्री के आशीर्वाद से गुजरात की समृद्धि का विस्तार करते हुए कुमारपाल ने अहिंसा धर्म के प्रचार में जो योगदान किया उसका सजीव चित्रांकन अगले भाग में पढ़िये देश से निकालो 32 For Private & Personal Use Only क्रमश: www.jainelibrary.org

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