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सिद्धराज का चेहरा खिल उठा
अवश्य गुरुदेव ! आप सर्व समर्थ हैं। ऐसी कृति तैयार होने से मेरा यश, आपकी ख्याति और जनता का उपकार होगा। #
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परन्तु राजन् ! इसके लिए सहायक ग्रन्थों की जरूरत पड़ेगी?
कलिकाल सर्वज्ञ : हेमचन्द्राचार्य
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# यशो मम तवख्यातिः पुण्यं च मुनिनायक ! विश्वलोकोपकाराय कुरु व्याकरण नवम् !
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आपको राज्य की ओर से सभी साधन उपलब्ध कराये जायेंगे, आज्ञा कीजिए।
राजा के आदेश से कुछ विद्वान काश्मीर गये। वहाँ एक वर्ष पश्चात् एक श्रावक सिद्धराज के पास आयासे आठ विशाल व्याकरण ग्रन्थ लेकर आये। हेमचन्द्राचार्य नये व्याकरण की रचना में
जुट गयें।
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महाराज ! आचार्यश्री ने एक वर्ष तक कठिन परिश्रम करके नये व्याकरण की रचना कर ली है।
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काश्मीर संस्कृत विद्या का केन्द्र रहा है। वहाँ के ज्ञान भण्डारों से अब तक उपलब्ध सभी व्याकरणों की प्रतियाँ मँगाई जायें।
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वाह ! इतने अल्प समय में। क्या नाम रखा व्याकरण का।
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