Book Title: Hemchandracharya Diwakar Chitrakatha 040
Author(s): Nityanandsuri, Shreechand Surana
Publisher: Diwakar Prakashan

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Page 13
________________ आचार्यश्री हाँ, मुझे लगता है, तुम्हें वहाँ विशेष लाभ होगा। कलिकाल सर्वज्ञ : हेमचन्द्राचार्य गुरुदेव की आज्ञा लेकर मुनि सोमचन्द्र अपने साथी देवेन्द्रसूरि जी के साथ गौड देश के | लिए चल पड़े। कुछ दिनों की यात्रा के बाद दोनों मुनि खेरालु पहुंचे। रात भर उपाश्रय में विश्राम किया। अगले दिन साँझ ढलते समय एक भव्य शरीर धारी वृद्ध पुरुष वहाँ | आया। उसकी आँखों में बड़ा तेज था। चेहरे पर शान्त प्रसन्नता। उसने पूछा महात्मन ! क्या मैं रातभर आपके पास रुक सकता हूँ? AASPM मुनि सोमचन्द्र ने दो पल गौर से उस वृद्ध पुरुष को देखा, || वृद्ध पुरुष ने पूछाफिर बोले- महात्मन ! आप हमारे साथ रहेंगे ANOORN तो हमें भी आनन्द SOTRAMहम विशिष्ट विद्या अनुभव होगा। आप लोग कहाँ प्राप्ति के लिए गौड जा रहे हैं? देश जा रहे हैं। | फिर उन्होंने देवेन्द्रसूरि से कहामुझे तो यह कोई हाँ, मुझे भी विद्यासिद्ध महापुरुष यही लगता है। लगता है। 11 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org.

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