Book Title: Harivanshpuranam Purvarddham Author(s): Darbarilal Nyayatirth Publisher: Manikchand Digambar Jain Granthamala Samiti View full book textPage 7
________________ नहीं, ये नन्नराज अभिमानमेरु पुष्पदन्तके आश्रयदाता और राष्ट्रकूटनरेश कृष्ण या शुभतुंगके मंत्री * नन्न ही थे या उनसे भिन्न कोई दूसरे । जिस समय हरिवंशपुराण समाप्त हुआ था, उस समय राष्ट्रकूटनरेश श्रीवल्लभ ( गोविन्द द्वितीय ) राज्य करता था और इस लिए उसके कुछ ही पहले, उसके पिता कृष्णके मंत्री नन्नके बनवाए हुए पार्श्वनाथालयका होना संभव है; परन्तु अभीतक पुष्पदन्तका समय निश्चित नहीं हुआ है। उन्होंने अपने उत्तरपुराणके अन्तमें उसकी रचनाका समय ६०६ क्रोधन संवत्सर दिया है और साथ ही जिनसेन, वीरसेन आदि आचार्योंका तथा धवल जयधवल सिद्धान्तोंका उल्लेख किया है जो कि ठीक नहीं बैठता है, इस लिए इस विषयमें अभी निश्चयपूर्वक कुछ नहीं कहा जा सकता है । ४ कुंडिण्णगुत्तणहदिणयरासु वल्लहनारदंघरमहतरासु । णण्णह मंदिर णिवसंतु संतु अहिमाणमेरु कइ पुप्फयंतु ॥ इत्यादि आश्रान्तदानपरितोषितवन्द्यवृन्दो दारिद्ररौद्रकरिकुंभविभेददक्षः । श्रीपुष्पदन्तकविकाव्यरसाभितृप्तः श्रीमान्सदा जगति नन्दतु नन्ननामा ।। -यशोधरचरित x देखो जैनसाहित्यसंशोधक खंड २, अंक १ में मेरा लिखा हुआ 'महाकवि पुष्पदन्त और उनका महापुराण' शीर्षक विस्तृत निबन्ध । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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