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[ प्रार्थना
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नमामि गुरु तारणम् मोक्ष पथ प्रदर्शकम्, नमामि गुरु तारणम्। नमामि गुरु तारणम्, नमामि गुरु तारणम्॥ वीर श्री नन्दनं, पुष्पावती जन्मनं॥ गढ़ाशाह प्रमुदितम्, नमामि गुरु तारणम् ....मोक्ष पथ प्रदर्शकम् ..... दीक्षा तप साधनम्, सेमरखेड़ी वनम्॥ ध्यान धारि निर्मलम्, नमामि गुरु तारणम् ....मोक्ष पथ प्रदर्शकम् ..... मिथ्या मद मर्दनम्, मोह भय विनाशनम् ॥ स्याद्वाद भूषितम्, नमामि गुरु तारणम् ....मोक्ष पथप्रदर्शकम् ..... आत्म ज्ञान दायकम्, मोक्ष मार्ग नायकम्॥ सत्य पथ प्रकाशकम्, नमामि गुरु तारणम् ....मोक्ष पथप्रदर्शकम् ..... धर्म पथ प्रचारितं, ज्ञानामृत वर्षणम्॥ सूखा निसई शुभम्, नमामि गुरु तारणम् ....मोक्ष पथ प्रदर्शकम् ..... ज्ञान भाव स्थितम्, समाधि वेतवा तटम्॥ निसई तीर्थ वंदनम्, नमामि गुरु तारणम् ....मोक्ष पथ प्रदर्शकम् ..... वीतराग जगद्गुरुम्, युगकवि सु निर्मलम्॥ ब्रह्मानंद मोक्षदं, नमामि गुरु तारणम् ....मोक्ष पथ प्रदर्शकम् .....
व्यक्तिगत व्यक्तित्व के विकास हेतु आवश्यक सर्वप्रथम पद्मासन, अर्द्ध पद्मासन या सुखासन में बैठे, मेरुदंड सीधा रहे, नासाग्र दृष्टि हो। ऐसी मुद्रा में बैठे पश्चात् संकल्प करें कि - मेरे भीतर अनंत ज्ञान का, अनंत शक्ति का, अनंत आनंद का सागर लहरा रहा है, उसका साक्षात्कार करना मेरे जीवन का परम लक्ष्य है। संकल्प के पश्चात् २ मिनिट श्वासोच्छ्वास पर ध्यान दें, पश्चात् श्वास को गहरे करें एवं ॐ मंत्र का उच्चारण करें (अपने श्वासोच्छ्वास प्रमाण, श्वास को छोड़ते समय ३/४ श्वास में ओ और १/४ श्वास में म् का उच्चारण करें) इसके बाद शांत मौन होकर शून्य ध्यान में आत्म स्वरूप में निमग्न हो जायें। अंत में-३ बार ॐ नमः सिद्धं एवं ३ बार ॐ शांति मंत्र का उच्चारण करके अपने इष्ट शुद्धात्म देव को विनय भक्ति पूर्वक प्रणाम करके ध्यान पूर्ण करें।