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प्रश्न विनय बैठक का क्या अर्थ है ?
उत्तर
प्रश्न
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ज्ञान विज्ञान भाग - २
प्रश्न
उत्तर
प्रश्न विनय बैठक में विचारणीय प्रमुख विषय कौन से हैं?
उत्तर प्रश्न सच्चे शास्त्र की क्या पहिचान है ?
उत्तर
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II
पाठ - ७
विनय बैठक परिचय
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II
विनय पूर्वक बैठकर जिनवाणी के माध्यम से अपने हित-अहित कर्तव्य - अकर्तव्य और सत्-असत् का निर्णय कर आत्म कल्याण करने का पुरुषार्थ करना ।
विनय बैठक में शास्त्र, सूत्र और सिद्धांत प्रमुख रूप से विचारणीय विषय हैं।
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जिनमें वस्तु स्वरूप का वर्णन हो, सच्चे देव, गुरु, धर्म की महिमा बतलाई गई हो तथा जीवों के लिये मुक्ति का मार्ग प्रशस्त किया गया हो, उसको सच्चे शास्त्र जानना चाहिये ।
सच्चे देव, गुरु, धर्म, शास्त्र का स्वरूप जानने के लिये विनय बैठक में कौन सा छंद पढ़ते हैं ?
विनय बैठक में सवैया छंद पढ़ा जाता है जिसमें सच्चे देव, गुरु, धर्म, शास्त्र का स्वरूप वर्णन है । सवैया
साँचो देव सोई जामें दोष को न लेश कोई । साँचो गुरू वही जाके उर कछु की न चाह है | सही धर्म वही जहाँ करुणा प्रधान कही । सही ग्रन्थ वही जहाँ आदि अंत एक सो निर्वाह है ॥ यही जग रतन चार ज्ञान ही में परख यार । साँचे लेहु झूठे डार नरभव को लाह है ॥ मनुष्य तो विवेक बिना पशु के समान गिना । यातें यह बात ठीक पारणी सलाह है ॥
विनय बैठक में शास्त्र की व्याख्या किस प्रकार पढ़ी जाती है ?
'ऐसे शाश्वते देव, गुरु, धर्म की महिमा सहित, जामें आचार विचार क्रियाओं का प्रतिपादन होय, ज्ञान की उत्पत्ति, कर्मों की षिपति, जीव की मुक्ति, दर्शन ज्ञान चारित्र, कलन, चरन, रमण, उवन दृढ, ज्ञान दृढ, मुक्ति दृढ, ऐसो त्रिक स्वभाव रूप वार्ता चले अरु समुच्चय वर्णन जामें होय ताको नाम शास्त्र जी कहिये ।
त्रिक किसे कहते हैं, शास्त्र की व्याख्या में कितनी और कौन सी त्रिक कही गई हैं ? तीन के समुच्चय अथवा समूह को त्रिक कहते हैं। शास्त्र की व्याख्या में छह त्रिक कही गई हैं, जो इस प्रकार हैं- १. सच्चे देव, गुरु, धर्म २. आचार, विचार, क्रिया ३. ज्ञान की उत्पत्ति, कर्मों की खिपति, जीव की मुक्ति ४. दर्शन, ज्ञान, चारित्र ५. कलन, चरन, रमण ६. उवन दृढ़, ज्ञान दृढ़, मुक्ति दृढ़ (अर्थात् सम्यग्दर्शन, सम्यग्ज्ञान, सम्यक्चारित्र में दृढ़ता )