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छहढाला - छटवीं ढाल
१४१ प्रश्न १०- आज्ञा विचय धर्मध्यान किसे कहते हैं ? उत्तर - धर्म अधर्म आदि अजीव द्रव्यों के स्वभाव का चिंतवन करना । जैन सिद्धांत में वर्णित वस्तु
स्वरुप को सर्वज्ञ भगवान की आज्ञा की प्रधानता से यथासंभव परीक्षा पूर्वक चिंतवन करना
आज्ञा विचय धर्म ध्यान है। प्रश्न ११- अपाय विचय धर्म ध्यान किसे कहते हैं? उत्तर - जिनमत को प्राप्त करके कर्मों का नाश किन उपायों से हो, ऐसा चिंतवन करना अपाय विचय
धर्म ध्यान है। प्रश्न १२- विपाक विचय धर्म ध्यान किसे कहते हैं? उत्तर - द्रव्य क्षेत्र काल भाव के निमित्त से अष्ट कर्मों के विपाक द्वारा आत्मा की क्या-क्या सुख
दुःखादि रूप अवस्था होती है उसका चिंतवन करना विपाक विचय धर्म ध्यान है। प्रश्न १३- संस्थान विचय धर्म ध्यान किसे कहते हैं ? उत्तम - लोक के आकार तथा उसकी दशा का विचार करना संस्थान विचय धर्म ध्यान है। पदस्थ,
पिंडस्थ, रूपस्थ, रूपातीत इसके चार भेद हैं। प्रश्न १४- शुक्ल ध्यान किसे कहते हैं? उत्तर ___ - कषाय रूपी मल का क्षय अथवा उपशम होने से शुक्ल ध्यान होता है इसलिये आत्मा के शुचि
गुण के संबंध से इसे शुक्ल ध्यान कहते हैं; अर्थात् रागादि रहित स्वसंवेदन ज्ञान को आगम
भाषा में शुक्ल ध्यान कहा है। प्रश्न १५- पृथक्त्व वितर्क वीचार शुक्ल ध्यान किसे कहते हैं? उत्तर - द्रव्य, गुण और पर्याय के भिन्नपने को 'पृथक्त्व' कहते हैं। स्व शुद्धात्मा की अनुभूति जिसका
लक्षण है ऐसे भावश्रुत को और उसके (स्वशुद्धात्मा के) वाचक अंतर्जल्प रूप वचन को 'वितर्क' कहते हैं । इच्छा के बिना एक अर्थ से दूसरे अर्थ में, एक वचन से दूसरे वचन में, एक योग से दूसरे योग में जो परिणमन होता है उसे वीचार कहते हैं। यद्यपि ध्यान करने वाला निज शुद्धात्मा का संवेदन छोड़कर बाह्य पदार्थों का चिंतन नहीं करता तो भी उसे जितने अंश में स्वरूप स्थिरता नहीं है उतने अंश में इच्छा के बिना विकल्प उत्पन्न होते हैं, इस कारण
इसे पृथक्त्व वितर्क वीचार कहते है। प्रश्न १६- एकत्व वितर्क शुक्ल ध्यान किसे कहते हैं ? उत्तर - निज शुद्धात्म द्रव्य में या विकार रहित आत्मसुख अनुभव रूप पर्याय में, या उपाधि रहित
स्वसंवेदन गुण में- इन तीनों में से जिस एक द्रव्य, गुण या पर्याय में प्रवृत्त हो गया और उसी में वितर्क नामक निजात्मानुभव रूप भावश्रुत के बल से स्थिर होकर अवीचार अर्थात् द्रव्य,
गुण पर्याय में परावर्तन नहीं करता वह एकत्व वितर्क शुक्ल ध्यान कहलाता है। प्रश्न १७- सूक्ष्मक्रियाप्रतिपाति शुक्ल ध्यान किसे कहते हैं ? उत्तर - सूक्ष्मकाय की क्रिया के व्यापार रूप और अप्रतिपाति (जिससे गिरना नहीं हो) उसे सूक्ष्मक्रिया
प्रतिपाति शुक्ल ध्यान कहते हैं।