Book Title: Gyanodaya
Author(s): Taran Taran Gyan Samsthan Chindwada
Publisher: Taran Taran Gyan Samsthan Chindwada

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Page 182
________________ श्री ममलपाहुड जी फूलना - ३२ प्रश्न ३ उत्तर प्रश्न ४ उत्तर प्रश्न ५ उत्तर प्रश्न ६ उत्तर प्रश्न ७ उत्तर प्रश्न ८ उत्तर - - - - - - - - - षट्कमल का क्या अभिप्राय है ? गुप्त कमल, नाभि कमल, हृदय कमल, कण्ठ कमल, मुख कमल और विंद कमल यह षट्कमल हैं । षट्कमल की साधना अंतरंग में ज्ञानज्योति को प्रकाशित करने का सूक्ष्म विज्ञान है। अध्यात्म साधना में क्रमिक वृद्धि एवं आत्म साधना की सिद्धि को उपलब्ध होना षट्कमल का अभिप्राय है। योग दर्शन में इनको षट्चक्र कहा गया है - मूलाधार, स्वाधिष्ठान, मणिपूरक, अनाहत, विशुद्धाख्येय और आज्ञा चक्र । ज्ञानी चैतन्य हीरा की चाह क्यों करता है ? सम्यक्दृष्टि ज्ञानी जीव आत्म स्वरूप का अनुभवी होता है । रागादि भावों को दुःख रूप जानता है । पुण्य-पाप कर्मों से मुक्ति का मार्ग नहीं बनता यह संसार के कारण हैं जबकि ज्ञायक स्वभाव के आश्रय से मुक्ति प्राप्त होती है। ज्ञानी पराश्रय और कर्मों से मुक्त होकर आनंद परमानंद में रहना चाहता है इसलिये ज्ञानी चैतन्य हीरा की चाह करता है अर्थात् भावना भाता है। १६७ सिद्धांत का सार क्या है ? मैं आत्मा शुद्ध बुद्ध ज्ञायक स्वरूप परमात्मा हूँ, देह कर्मादि संयोग मुझसे भिन्न हैं, ऐसा जानना अनुभव करना सिद्धांत का सार है । जीव जुदा पुद्गल जुदा, यही तत्व का सार । और कछु व्याख्यान सो, इसका ही विस्तार ॥ भयों का नाश करने में कौन समर्थ है ? सम्यकदृष्टि ज्ञानी अपने परमात्म सत्ता स्वरूप का अनुभव करता है, सम्यग्दर्शन, सम्यग्ज्ञान पूर्वक सम्यक्चारित्र की साधना में संलग्न रहता है। ऐसा सम्यक दृष्टि ज्ञानी भयों का नाश करने में समर्थ है। तरण विमान किसे कहते हैं ? आत्मा स्वभाव से केवलज्ञानमयी परमात्म स्वरूप है। अनंतदर्शन, अनंतज्ञान, अनंतसुख और अनंतवीर्य स्वरूप अनंत चतुष्टयमयी आत्मा के स्वभाव को तरण विमान कहते हैं। सर्व अर्थ की सिद्धि किसे होती है ? जो ज्ञानी ज्ञान विज्ञान पूर्वक परमात्म सत्ता स्वरूप मुक्तिश्री के आनंद अमृतरस में रमण करते हैं, जिनके अंतर में ज्ञायक ज्ञान प्रकाश सदैव प्रकाशित रहता है उनको ही सर्व अर्थ की सिद्धि अर्थात् मुक्ति की प्राप्ति होती है । *********

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