Book Title: Gyanodaya
Author(s): Taran Taran Gyan Samsthan Chindwada
Publisher: Taran Taran Gyan Samsthan Chindwada

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Page 205
________________ मॉडल, श्री तारण तरण मुक्त महाविद्यालय प्रश्न प्रथम वर्ष (प्रवेश) द्वितीय प्रश्न पत्र - श्री मालारोहण जी पत्र मापार समय-३ घंटा पूर्णांक- १०० नोट : सभी प्रश्न हल करना अनिवार्य है। शुद्ध स्पष्ट लेखन पर अंक दिए जावेंगे। प्रश्न १- रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए - (अंक २ x ५ = १०) (क) श्री जिन तारण स्वामी जी ने श्री मालारोहण जी ग्रंथ में ............. का प्रतिपादन किया है। (ख) ॐ मंत्र में............. समाहित हैं। (ग) तत्त्व निर्णय हेतु ............. तत्त्व हैं। (घ) धर्म के स्वरूप को नहीं जानना ............. शल्य है। (ङ) न्यानं गुनं चरनस्य सुद्धस्य ............. तत्त्वं । प्रश्न २ - सत्य/असत्य कथन चुनकर लिखिए - (अंक २४५ = १०) (क) वस्तु के स्वभाव को धर्म कहते हैं। (ख) श्रीमालारोहण षट् आवश्यक का यथार्थ स्वरूप बताता है। (ग) पाठ आदि शुद्ध पढ़ते हुए अर्थ को गलत समझना उभयाचार है। (घ) निश्चय से मैं अनेक हूँ, दर्शन ज्ञानमय अरूपी हूँ। (ङ) जे धर्म लीना गुन चेतनेत्वं, ते सुष्य हीना जिन सुद्ध दिस्टी। प्रश्न ३- सही जोड़ी बनाइये - स्तंभ-क स्तंभ-ख (अंक २४५= १०) शंका कांक्षा षट् आवश्यक ऊमर कठूमर गुणवत प्रतिक्रमण पंच उदम्बर दिव्रत सम्यक्ज्ञान के अंग उपधानाचार, विनयाचार सम्यक्दर्शन के दोष प्रश्न ४ - सही विकल्प चुनकर लिखिये - (अंक २४५= १०) (क) कुधर्म है (१) मिथ्यात्व (२) अज्ञान (३) अनायतन (४) सम्यक्त्व (ख) सिद्ध के ८ गुण में शामिल नहीं है- (१)प्रभावना (२) दर्शन (३) ज्ञान (४) वीर्यत्व (ग) दृष्टि का विषय है - (१) पदार्थ (२) ज्ञान (३) तत्त्व (४) अस्तिकाय (घ) काया प्रमानं त्वं (१)शरीरं (२) आत्मनं (३) ब्रह्मरूपं (४) स्वरूपं (ङ) आत्मा का कौन सा लक्षण धर्म है - (१) ज्ञान (२) दर्शन (३) चेतना (४) वीर्य प्रश्न ५- किन्हीं पाँच प्रश्नों के उत्तर लगभग ३० शब्दों में लिखिये - (अंक ४-५-२०) (१) किसी एक गाथा का शुद्ध रूप लिखकर उसका अर्थ स्पष्ट कीजिए? (२) पंक्तियाँ पूर्ण कीजिए - (क) संमिक्त सुद्धं ....... षिम उत्तमाध्यं। (ख) जे सप्त तत्त्वं ....... सुद्धात्म तत्त्वं । (३) आत्मा अनंत गुणों का धारी है फिर यह निर्बल, पराश्रित, पराधीन क्यों रहता है ? (४) परिभाषा लिखिये-शल्य, संसार, सम्यक्दर्शन, अनंत चतुष्टय। (५) केवलज्ञान की क्या विशेषता है? (६) रागादि भाव और पुण्य-पाप का आत्मा से क्या संबंध है? प्रश्न ६- किन्हीं पाँच प्रश्नों के उत्तर लगभग ५०शब्दों में दीजिये (अंक ६४५= ३०) (१) गाथा ७ के आधार पर आत्म स्वरूप की महिमा और आत्म दर्शन की प्रेरणा का स्वरूप लिखिए। (२) 'शुद्ध सम्यक्त्व की गुणमाला गूंथने का पुरुषार्थ करो' इसका क्या अभिप्राय है? (३) तत्त्व, पदार्थ, द्रव्य, अस्तिकाय को स्पष्ट कर भेद-प्रभेद लिखिए। (४) ७५ गुण कौन से हैं, भेद सहित स्पष्ट कीजिए? (५) मूलगुण किसे कहते हैं ? नाम सहित वर्णन कीजिए। (६) जैनाचार्यों ने धर्म के संबंध में क्या देशना दी है? प्रश्न ७ - किसी एक प्रश्न का उत्तर लगभग २०० शब्दों में लिखिये - (अंक १x१०=१०) (अ) विवेचन कीजिए- सम्यग्दर्शन,प्रतिमा एवं व्रताचरण (अथवा) (ब) सम्यक्दृष्टि साधक का कर्तव्य एवं 'काया प्रमानं त्वं ब्रह्मरूपं' को स्पष्ट कीजिए।

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