Book Title: Gyanodaya
Author(s): Taran Taran Gyan Samsthan Chindwada
Publisher: Taran Taran Gyan Samsthan Chindwada

View full book text
Previous | Next

Page 203
________________ धर्म का स्वरूप (ख) वास्तविक धर्म का स्वरूप क्या है ? स्पष्ट करें। उत्तर - 'वत्थु सहावो धम्मो वस्तु का स्वभाव धर्म है । आत्मा के शुद्ध स्वभाव को धर्म कहते हैं। धर्म किसी शुभ-अशुभ क्रिया से नहीं होता। जैसे- द्रव्यलिंग धारण करके मठ में रहना, पीछी कमंडल धारण करना, ज्योतिष विद्यादि का उपदेश देना, तीर्थयात्रा, व्रत तप आदि शुभ या अशुभ क्रियायें है इनसे धर्म नहीं होता। शुभ क्रियायें पुण्य बंध की तथा अशुभ क्रियायें पाप बंध की कारण हैं। वास्तव में सच्चा धर्म तो निर्विकल्प शुद्धात्मानुभूति है। यही सत्य धर्म, जीव के समस्त दुःखों का अभाव कर परमात्म पद प्राप्त कराने वाला है। O विद्या की महिमा विद्या समस्त गुणों की खान है। विद्या और धन बांटने से बढ़ता है। विद्या धन को कोई नहीं छीन सकता। विनम्रता बिना विद्या कार्यकारी नहीं है । विद्या से रहित मनुष्य का जीवन व्यर्थ है। विद्यावान व्यक्ति धनवानों का भी धनवान होता है। विद्या से युक्त व्यक्ति को कोई ठग नहीं बना सकता । १८८

Loading...

Page Navigation
1 ... 201 202 203 204 205 206 207