Book Title: Divya Jivan Vijay Vallabhsuriji Author(s): Jawaharchandra Patni Publisher: Vijay Vallabhsuriji Janmashatabdi Samiti View full book textPage 8
________________ निवेदन (प्रकाशकीय) परमपूज्य प्रातःस्मरणीय युगदर्शी आचार्यदेव श्री विजयवल्लभसूरीश्वरजी महाराजको जन्मशताब्दीके निमित्त फालना (राजस्थान) की श्री पार्श्वनाथ उमेद कालेजके वाईस-प्रिन्सीपाल व हिन्दी विभागके अध्यक्ष प्रो. श्री जवाहरचन्द्रजी पटनोकी लिखी आचार्यप्रवरकी यह जीवनी प्रकाशित करते हमें प्रसन्नता होती है। प्राध्यापक श्री पटनीजी एक यशनामी लेखक हैं व स्वर्गीय आचार्य महाराजके प्रति बड़ा पूज्यभाव रखते हैं। परमपूज्य शान्तस्वभावी आचार्य श्री विजयसमुद्रसूरिजी महाराजकी प्रेरणासे उन्होंने इस चरित्रका श्रद्धा व भक्तिसे हृदयंगम शैलीमें आलेखन किया है। इसके लिये वे धन्यवादके अधिकारी हैं। ___ इस चरित्रको परमपूज्य आचार्य श्री विजयसमुद्रसूरिजी महाराज तथा पूज्य मुनिरत्न श्री जनकविजयजी गणिने देख जानेका जो कष्ट लिया है एतदर्थ हम उन्हींके अत्यन्त आभारी है। योजना तो ऐसी थी कि यह पुस्तक ठीक जन्मशताब्दी समारोहके सुवर्ण अवसर पर छपकर प्रकाशित हो जाय, और समितिके सदस्योंको यथासमय मिल जाय। इस दृष्टिसे इसका मुद्रणकार्य दिल्लीके एक नामी प्रेसको सुपुर्द किया गया था। किन्तु उत्तरोत्तर कुछ संजोग ही ऐसे निर्माण होते गये कि पुस्तकके मुद्रणके बारेमें प्रेसके सामने नई नई ऐसी कठिनाइयां खड़ी होती गईं कि अन्तमें प्रेसके लिये वह कार्य समितिको वापस भेज देना अनिवार्य बन गया। इस मुसीबतके समयमें आखिर अहमदाबादके सुविख्यात नवजीवन मुद्रणालयने हमारी सहायता की व इस चरित्रका सुन्दर-स्वच्छ मुद्रण बहुत अल्प समयमें ही कर दिया। इसके लिये हम नवजीवन मुद्रणालयके अत्यन्त आभारी है। जन्मशताब्दी समितिने समितिके हरेक सदस्यको परमपूज्य आचार्यदेवकी गुजराती, हिन्दी व अंग्रेरेजी जीवनीमेंसे सदस्य जिस भाषाकी जीवनी Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
1 ... 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 ... 90