Book Title: Dhammapada 01
Author(s): Osho Rajnish
Publisher: Rebel Publishing House Puna

Previous | Next

Page 163
________________ एस धम्मो सनंतनो अपने को गंवाकर इस जगत में कमाने जैसा कुछ भी नहीं है। हां, अपने को बचाकर जितना खेल खेलना हो खेल ले सकते हो। जब परमात्मा ही लीला कर रहा है, तो तुम क्यों परेशान हो? लेकिन परमात्मा मालिक है और जब तुम भी अपनी आदतों और संस्कारों के मालिक हो जाओगे तब तुम भी अपने छोटे से संसार में परमात्मा हो जाते हो। बुद्ध ने इसी को होश कहा है, कि सब करना लेकिन होशपूर्वक करना। कदम भी उठाना तो होशपूर्वक उठाना। उठना, बैठना, लेटना-होशपूर्वक। कोई भी चीज बेहोशी में मत करना। अगर तुम होश को साधते रहो तो आदत तो बनती रहेगी, आदत का तुम उपयोग करते रहोगे, लेकिन आदत के पीछे होश की धारा भी बह रही है। चैतन्य का दीया भी जल रहा है। वह भी निर्मित हो रहा है, उसकी भी सघनता बढ़ रही है। उसका भी प्रकाश गहन होता जा रहा है। जीवन में सिर्फ आदतें ही आदतें रह जाएं तो आत्मा खो जाती है। आदतों के पीछे तुम भी रहो—अलग, पृथक। और इतनी तुममें मालकियत हो कि किसी आदत को अगर तुम छोड़ना चाहो तो इसी क्षण छोड़ दो, लौटकर दुबारा सोचने की जरूरत भी न पड़े। ___मैंने सुना है कि जब पहली दफा उत्तर ध्रुव पर यात्री पहुंचे, तो वे एक बड़ी मुसीबत में पड़े। तीन महीने का भोजन था, वह चुक गया। और कोई पंद्रह-बीस दिन उन्हें भूखे उपवास में गुजारने पड़े। कभी मछली पकड़ लेते तो ठीक, कभी न पकड़ पाते तो मुश्किल। जहाज उलझ गया, बर्फ में फंस गया। लेकिन उन यात्रियों का जो कैप्टन था उसको सबसे ज्यादा जो मुसीबत आयी वह भोजन की नहीं थी। लोग बिना भोजन के रहने को तैयार थे-यात्रियों का दल-सिगरेट की सबसे ज्यादा मुसीबत खड़ी हुई। सिगरेट खतम हो गयी। तो लोगों ने जहाज की रस्सियां काट-काटकर पीना शुरू कर दिया। कैप्टन घबड़ाया। उसने कहा कि अगर बीस दिन यह सिलसिला रहा तो फिर हम कभी वापस न पहुंच पाएंगे! तुम रस्सियां ही काटे डाल रहे हो, तो यह जहाज आगे कैसे बढ़ेगा? ये पाल गिर जाएंगे। मगर लोग इतने दीवाने सिगरेट पीने के लिए कि कैप्टन करे भी क्या? एक आदमी, बाकी सब सिगरेट पीने वाले, उनका करो भी क्या? वे रात को चोरी से काट लें, इधर-उधर से काट लें। ____ जब यह जहाज लौटकर किसी तरह आया और इसकी अखबारों में खबर छपी, तो एक आदमी ने अमरीका में—वह अखबार पढ़ते वक्त अपनी सिगरेट भी पी रहा था, अखबार भी पढ़ रहा था—उसे अचानक यह.बात अजीब सी लगी कि लोग गंदी रस्सियां काट-काटकर पी गए। वह भी चेन स्मोकर था। उसने सोचा-हाथ में सिगरेट थी—उसने सोचा कि क्या यही गति मेरी होती अगर मैं भी उनके साथ होता? क्या मैं भी रस्सियां काटकर पी जाता? एक क्षण उसे खयाल आया, उसने 150

Loading...

Page Navigation
1 ... 161 162 163 164 165 166 167 168 169 170 171 172 173 174 175 176 177 178 179 180 181 182 183 184 185 186 187 188 189 190 191 192 193 194 195 196 197 198 199 200 201 202 203 204 205 206 207 208 209 210 211 212 213 214 215 216 217 218 219 220 221 222 223 224 225 226 227 228 229 230 231 232 233 234 235 236 237 238 239 240 241 242 243 244 245 246 247 248 249 250 251 252 253 254 255 256 257 258 259 260 261 262 263 264 265 266