Book Title: Dhammapada 01
Author(s): Osho Rajnish
Publisher: Rebel Publishing House Puna

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Page 230
________________ यात्री, यात्रा, गंतव्य : तुम्हीं लोग बड़े हैरान हुए। जब वह बोल चुका, तब घड़ी जहां रुक गयी थी, जितने घंटे बजाने बाकी रह गए थे, वह उसने बजाए। लोगों ने कहा कि राज समझे नहीं, यह मामला क्या है? बायजीद ने कहा कि जब भीतर का समय रुक गया, तो घड़ी न मानेगी? __ ऐसा हुआ हो, जरूरी नहीं। पर बात महत्वपूर्ण है। भीतर की घड़ी जब रुक जाती है तो बाहर की घड़ी का क्या कहना? जब ध्यान उतरता है तो समय की धारा ठहर जाती है। जब ध्यान उतरता है तो स्थान का भाव खो जाता है। तुम कहां हो, कब हो, कौन हो, सब ठहर जाता है। स्मृति का यंत्र अवाक हो जाता है, चौंककर रुक जाता है। ___ ध्यान का समय आता है, चला जाता है। जब तुम वापस लौटते हो अपनी तंद्रा के जगत में, विचार में, और घड़ी फिर घंटे बजाती है, तब तुम सोचते हो हुआ क्या? क्या मैं सो गया था? लेकिन सोने की भी याद होती है। रात तुम आज सोए थे, सुबह तुम कहते हो, बड़ी गहरी नींद आयी। या एक दिन तुम कहते हो, नींद ठीक से न आयी, उथली-उथली रही, ऊबड़-खाबड़ रही; सपने बहुत रहे, राहत न मिली, विश्राम न मिला; रातभर पड़े रहे, करवटें बदलीं; नींद आयी टूट-टूटकर आयी, टुकड़ों-टुकड़ों में आयी, सातत्य न रहा। या कभी तुम कहते हो, बड़ी गहरी नींद आयी, बड़ा आनंद मालूम हो रहा है, सुबह बड़ी ताजगी है। तो नींद की तो स्मृति बनती है। ध्यान की स्मृति नहीं बनती। पर पहली दफा जब ध्यान घटता है तो ऐसा ही लगता है जैसे कि सब खो गया। हुआ क्या? हम कहां थे? हम कहां खो गए थे? कारण है। जब पहली दफा अंधेरा जाता है और रोशनी आती है, तो आंखें चकाचौंध से बंद हो जाती हैं। तो पहला तो प्रकाश का अनुभव भी करीब-करीब अंधेरे जैसा ही होता है। जैसे तुम अंधेरे कमरे से अचानक बाहर रोशनी में आ गए और तुमने सूरज देखा, तुम्हारी आंखें बंद हो जाएंगी। और जो जन्मों-जन्मों से अंधेरी गुहा में रहा है, वह जब पहली दफा ध्यान के सूरज को देखेगा, स्वाभाविक है आंख बंद हो जाए, सब ठहर जाए। तो बुद्ध ने कहा है, प्रमाद मिटता है अप्रमाद से। और जब व्यक्ति अप्रमाद के भी ऊपर उठता है, तब प्रज्ञा। जब ध्यान के भी ऊपर उठता है, समाधि के भी ऊपर उठता है। यह बुद्ध की बड़ी गहन खोज है। समाधि के ऊपर उठने की बात पतंजलि ने भी नहीं कही। और बुद्ध ठीक कहते हैं। मैं भी उसका गवाह हूं। ___पतंजलि ने समाधि तक बात कही। ऐसा नहीं कि समाधि के आगे पतंजलि को पता नहीं। लेकिन कहने की कोई जरूरत न समझी होगी। जो समाधि तक पहुंच गया, वह अगला कदम अपने आप उठ जाता है। उसकी चर्चा व्यर्थ है। लेकिन बुद्ध पहले व्यक्ति हैं, जिन्होंने समाधि के पार की बात का ठीक-ठीक उल्लेख किया। वह इतना अज्ञात लोक है, उसका न तो कोई भूगोल बना है, न कोई एटलस है। 217

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