________________ धम्मि- // 16 // दध्यौ च सेयं दैवी वा-गियं मान्यैव मानवैः / / हंहो निःपुण्यकेऽद्यापि / देवी किं मयिवी. सार्थ || | दते // 17 // अन्यच्चैवमकाले मे / बलान्मृत्युरसंगतः // वक्ति लोकोऽपि यज्जीवन् / नरो नद्रा|णि पश्यति // 10 / / मृतश्चेत्तर्हि दुःकीर्ति-मम स्थेमानमाप सा // जीवन पुनः कदाप्येतां / स| चरित्रैः प्रमार्जये // 15 // एवमेवानपत्योऽसौ / म्रियते यदि धम्मिलः // दत्ता सुरेंदत्ते न्य-कु. लस्यास्तमिता कथा // 20 // महान्मम मतेर्मोहो / यद् शातजिनशासनः // ववे स्वस्य निषिके जोवा लाग्यो, परंतु त्यां तेणे कोश्ने पण जोयो नहि. // 16 // त्यारे ते विचारखा लाग्यो के खरेखर या देवता वाणी , अने ते माणसोए मानवीज जोश्ये, वळी हूँ जे निष्पुण्य तेना तरफ पण शुं हजु देवी जुए बे ? // 17 // वळी या थकाळे मारे बलात्कारे म योग्य नथी, केमके लोको पण कहे जे के जीवतो नर नद्र पामे. // 10 // वली जो हुँ बाम आपघात करी मरी जश तो मारी अपकीर्ति तो एमनी एमज स्थिर रहेशे, परंतु जो जीवतो रहीश तो कोड वखते पण ते अपकीर्तिने हुं मारां सदाचरणोथी दूर करीश. // 17 // वळी जो आ धम्मिला या मने थाम संतानविना मरी जाय तो सुरेंद्रदत्तशेठना कुलनी कथा तो यस्तज पामे. // 20 // P.P.AC. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust