Book Title: Dhamil Charitra Bhashantar Part 02
Author(s): Shravak Hiralal Hansraj
Publisher: Shravak Hiralal Hansraj

View full book text
Previous | Next

Page 151
________________ धम्मि- मन्येत सात्विकैः // 50 // अवधीः खेचरें तं / येन तेजः क ततं / सत्त्वं वीरावतंस वं / मा / मुंच खोचितं कुरु // 1 // कुमारोऽप्यवदत् कांते / किं कुर्मः कर्मग अपि // अदृष्टं प्रहरत्येष / साथ यदयं निर्दयो विधिः // 9 // क्षुद्रोचितचरित्रः स्या-ददृष्टं प्रहरनरिः / / मशकः किं न तीन मदृष्टं प्रविशन श्रुतौ // 73 // गृहखामिनि निजाणे / न किं श्वापि विज़ुभते // जाग्रतो मे यदि ती नथी. // // हिम्मतवान माणसो तो नरकने बिलसमान, पर्वतने पबरसमान, वनने घरसमान, हथियारने तृणसमान, सिंहने हरिणसमान तथा समुज्ने बिंदुसमान गणे . // 50 // जे तेजथी थापे ते विद्याधरेंडने मार्यो हतो ते आपy तेज क्यां गयु ? माटे हे वीरशिरोमणि! याप हिम्मत गेडो नहि, अने पोताने उचित कार्य करो? // 1 // त्यारे कुमार पण बोल्यो के हे प्रिये! हिम्मतवान छतां पण हुं शुं करूं? केमके ते विद्याधर नजरे पड्याविना मारे जे. माटे खरेखर दैव निर्दय . // // नजरे पड्याविना अजाणतां मारनारो शत्रु नीचने लाय. कपाचरणवाळो कहेवाय , केमके मबर नजरे पड्याविना कानमां पेशीने शं हाथीने पणन थी मारतो? // 13 // घरनो मालिक ज्यारे नवेलो होय त्यारे शुं कुतरो पण तेमां घुसतो नः | Jun Gun Aaradhak Trust P.P.AC.Gunratnasuri M.S.

Loading...

Page Navigation
1 ... 149 150 151 152 153 154 155 156 157 158 159 160 161 162 163 164 165 166 167 168 169 170 171 172 173 174 175 176