Book Title: Dhamil Charitra Bhashantar Part 02
Author(s): Shravak Hiralal Hansraj
Publisher: Shravak Hiralal Hansraj
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________________ धम्मि-द्रमाः // 1 // यापद्यपि युता पर्चा / धन्या कनकवत्यसौ / / मया तु कथमुलंध्या। यामिनीय मिनं विना // 2 // इत्यंतर्गतरोलंब बद्मना पद्मिनी हृदि // अस्ते गनस्तौ संकोचं / गता मू ती शुचं दधौ / / 73 // युग्मं // कुमारोऽयावदत्तन्वि / किं कृतं दुःकृतं मया // यदद्यापि न दुःखाब्वे-गाधस्य तटं लाने // | | | कसा पुरी प्रमुदित-प्रजा संजनितोत्सवा // क चेयमटवी व्यात्त-वदनव्यालसंकुला // हि मारेला एवा राहुथी बापदा सहन करखी पडे , एम तेने कहेवामाटे होय नहि तेम चंड नदय पाम्यो. // 1 // जे आपत्काले पण गरिनी साथे रहेली ने एवी या कनकवतीने धन्य बे, अने हं मारा स्वामीविना था रात्री शीरीते कहाडी शकीश! // 72 // एम विचारीने सूर्य यः स्त पामते ते संकोचायेली कमलिनी अंदर रहेला नमराना मिषयी मूर्तिवंत शोकने पोताना हृदयमां धारण करवा लागी. // 3 // ' हवे ते गुणवर्मा कुमार बोल्यो के हे कोमलांगि! में एवं ते शुं पाप कर्यु जे? के हज पण | हुँ अगाध दुःखसागरनो पार पामतो नथी. // 7 // खुश थयेल प्रजावाली तथा पानंद आपनाः | P.P.AC.Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust

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