Book Title: Dhamil Charitra Bhashantar Part 02
Author(s): Shravak Hiralal Hansraj
Publisher: Shravak Hiralal Hansraj
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________________ धम्मि- पुरः / स्फुरत्येष तदा स्टंः // 4 // तन्मयाद्य न नियं / निद्रामाहुमहाधियः // मार्गवृष्टिमिवैता की सां / मूलमंत्रं महापदां // 55 // त्वं तु निद्रासुखं देहि / नेत्रयोपूर्णमानयोः // प्रसुप्तं पंकजैस्ते षां / मित्रैर्यत्प्रतिपदवलं // 16 // ततः पल्लवशय्यायां / जायामयमसूषुपत् / / अस्थाच स्वयमुजी 314 | र्ण-खको वल्हीवनांतरे / / ए // प्राविघुतं पुरो भूत-मिव खेटं दाणेन सः॥ रे दुष्ट तिष्ट ति. टेति / वदन्नेवाभ्यधावत / / ए // अकालचक्रवद्दोदया-पतितं खेचरेण तं // हतेनेव मृतेनेव / थी? माटे मारा जागतां जो ते मारी सामो अावे तो ते सुट कहेवाय. / / माटे बाजे तो मारे निडा करवी नहि, केमके महाबुध्विान माणसोए मार्गमां थयेली वृष्टिनीपेठे निद्राने ते ते महादुःखोना मूलमंत्रसरखी कहेली . // 7 // हवे हे प्रिये! तुं तारी घेराती अांखोंने निदान सुख श्राप ? केमके तेजना मित्रो एवां कमलो पण दरेक तळावोमां मुदित थयेला . // // 16 // पछी तेणे पोतानी पत्नीने कुंपळी यांनी शय्यामां सुवामी, अने पोते तलवार नगामी ने वल्लीवननी अंदर जागतो रह्यो. // ए // पनी त्यां दाणवारमा नृतनीपेठे प्रगट थयेला ते खे. | चरने अरे दुष्ट ! तुं नगो रहे नन्नो रहे एम कहीने तेनी सन्मुख ते दोड्यो. // // अचा- | P.P. Ac. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust

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