Book Title: Dhamil Charitra Bhashantar Part 02
Author(s): Shravak Hiralal Hansraj
Publisher: Shravak Hiralal Hansraj

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Page 153
________________ धम्मि- विलीनेनेव संस्थितं | 0 | दृष्टेनास्य तमितुव्य-तेजसा तवारिणा / खेटस्य. सहसाचष्ट / / नति कंप्रात्करादसिः / / 1500 // जीवग्राहं गृहीत्वा तं / कुमारः प्रोचिवानिति // वद रे किं करो. | म्येष / तव कैतवघातिनः // 1 // यस्त्रियेताजिपन्नस्य / कुरु तत्त्वं ममाप्यहो // इति विद्याधरेणो 325 |क्ते / जगाद जगतीशत्रुः // 2 // यद्येवं शक्तिरिक्तोऽसि / तन्मया किं विरुध्यसे // अहाश्मिः ना यन्मां / तदीराणां त्रपाकरं // 3 // खेचरः प्रत्युवाचेति / मंदजाग्योऽस्मि किं ब्रुवे / / सत्वं स्व. नक श्रावी पडतां चक्रनीपेठे तेने बावतो जोश्ने ते विद्याधर जाणे हणायो होय नहि. मरी गयो होय नहि, तथा गळी गयो होय नहि तेम स्थिर थ गयो. / / ए // वीजळीसरखा तेज वाळी तेनी तलवार जोश्नेज ते खेचरनी तलवार तेना कंपता हायमांथी नीचे पडी. // 1500 // पजी तेने जीवतो पकडीने कुमार बोल्यो के अरे तु बोल के कपटथी मारनार एवो. जे तुं तेनुं ढवे शं करूं? // 1 // शरणे. श्रावेलानुं जे कराय ते तुं माझं पण कर ? एवी रीते विद्याधरे कहेवाथी ते राजकुमार बोब्यो के, // 2 // जो तुं एवी रीते शक्तिबिनानो तो प्रजी मारामाचे शामाटे विरोध करे ? मने तुं जे कपटयी हरी गयो ते सुनटोने लज्जित करनारुं . // 3 // Jun Gun Aaradhak Trust P.P.AC.Gunratnasuri M.S.

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