Book Title: Dhamil Charitra Bhashantar Part 02
Author(s): Shravak Hiralal Hansraj
Publisher: Shravak Hiralal Hansraj

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Page 171
________________ धम्मि- त्र / दमातले मातुलेन सः // वियद्गत व वापि / कुमारः प्रापि नो पुनः // 4 // - ततस्तेनैव साबोधि / किमेवं पुत्रि खिद्यते // नालं प्राग्जविकं कर्म / निरोधुं विबुधा अपि | // 5 // गवेषयंश्वरैः सर्वैः / पथीनैखि लोचनैः / नदंतमचिरादेवा-नेष्येऽहं प्रेयसस्तव // 7 // 343 | स्थिता तावत्त्वमत्रैव / दुर्दैवदवशांतये // वारिधारोपमं धर्म्य / कर्म पुत्रि समाचर || G // शोकं लोकानुवृत्त्यैव / दधाना सा दिनत्रयं / व्यतायुषी हृषीकार्थ-वश्या दध्याविदं रहः // 7 // ना. नहि. // 4 // पनी तेणे तेणीने समजावी के हे पुत्रि! तुं एवी रीते खेद केम पामे जे? केमके देवो प. / पूर्व नवनुं कर्म अटकाववाने समर्थ थता नथी. // 75 // वळी हुं पंथी लोचनसरखा मारा सर्व बुपा माणसोमारफते तारा ते नरिना तुरत समाचार मगावीश. // 6 // माटे हे पुत्रि! त्यांसु. धी तुं यहींज रहीने तारां दुष्कर्मरूपी दावानलनी शांतिमाटे जलधारासरखू धर्मकार्य कर ? || पनी लोकाचारमुजब त्रण दिवसोसुधी शोक पाळीने ते कनकवती इंडियार्थने वश थमने गत | रीते विचारखा लागी के, // मारो नार तो आयो नहि, माटे ते चाल्यो गयेलो संभ Jun Gun Aaradhak Trust P.P.AC. Gunratnasuri M.S.

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