Book Title: Dhamil Charitra Bhashantar Part 02
Author(s): Shravak Hiralal Hansraj
Publisher: Shravak Hiralal Hansraj
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________________ धम्मि- शनां सूरेः / दुरितावेशनाशिनी // सोऽपसृत्य मनाप्रोचे / जवनिर्वेदतः प्रियां // 17 // तन्त्रि जानन् भवं कारा–मिव श्रुत्वा गुरोगिरं // मनो धावति मे मुक्ति निवासंप्रति संप्रति // 15 // विषयाणाममित्रत्वं / मया सादादवैदयत / यैरहं राजवंश्योऽपि / पोलिंडी प्रापितो दशां // 20 // 325 | जन हित्वा जवाधांति / प्रांतेऽमी विषयाः शठाः / / हित्वा प्रत्युत तान कश्चि-देकरजेकत्वमश्नुते / // 21 // दुःखार्ता विषवह्नयाथै-जनाः केचित्त्यजत्यसून // तत्साहसं न शंसंति / संतः संसारखशना सांजळीने ते गुणवर्मा कुमार जरा खसीने संसारथी कंटाळीने पोतानी स्त्री कनकवतीने का हेवा लाग्यो के, // 17 // हे प्रिये ! गुरुनी वाणी सांजलवाथी संसारने केदखानासरखो जाणीने मारं मन हवे मोदनिवासमाटे दोडे . // 15 // विषयोनुं शत्रुपएं में सादात अनुजव्यं ने के जेनए मने राजवंशीने पण नीलनी दशाए पहोंचाइयों में. // 20 // वळी अंते या दुष्ट विषयो मनुष्यने गोमीने तुरत चाल्या जाय , परंतु ते ने गेडनारो तो कोक विरलोज सुजटपाणुं पा मे . // 21 // दुःखथी कंटाळेला केटलाक मनुष्यों फेर तथा अमिश्रादिकथी प्राणो तजेले. पं. | रंतु संसारने वधारनारा तेजना ते साहसनी विद्वानो प्रशंसा करता नथी. // 15 // जो तुं कहे P.P. Ac Gunratnasuri M.S. .Jun Gun Aaradhak Trust

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