Book Title: Dhamil Charitra Bhashantar Part 02
Author(s): Shravak Hiralal Hansraj
Publisher: Shravak Hiralal Hansraj
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________________ धम्मि- ण नीरेणा-वनीविन्यस्तबीजगत् // 51 // एवमासादितस्वांत-वित्रमः स ब्रमन् वने. // केनाः / सार्य प्यादि पुंसा किं / कुमारोऽत्रास्ति वा न वा // 12 // कोऽसौ कुमारः कस्त्वं च / किमुत्सुक श्वे. | दयसे // इति पृष्टे कुमारेण / स पुमान् प्रत्यवोचत / 53 // शंखोज्ज्वलयशःपूर-पोरं शंखपुरं पुरं // इदं पालयतीशान-चंद्रो नाम महीपतिः // 14aa गुणचंडः सुतस्तस्य / यलावण्यामब्धिमज्जनैः | // ममृजुललनादीणि / चापट्यं कीर्तिकल्मषं // 55 // केलिप्रियतया प्राप्तः / कुमारः सोऽत्र का. करीने कामदेवरूपी सुट खुल्लो करी थापशे. // 11 // एवी रीते मनमां ब्रम पामीने ते गुणवर्मा कुमार वनमां जमवा लाग्यो, एवामां कोक पुरुषे तेने पूज्यु के अहिं राजकुमार ने के न. हि? // 55 // कयो ते राजकुमार? तथा तुं कोण ? तथा नत्सुकजेवो केम जणाय ? ए. वी रीते गुणवर्मा कुमारे पूजवायी ते पुरुष बोव्यो के, || 53 // शंखसरखा नज्ज्वल यशना स. मूहवाळा लोकोवाळा या शंखपुरनामना नगरनुं ईशानचंड नामे राजा रक्षण करे . // 14 // तेनो गुणचंद्र नामे पुत्र बे, के जेना लावण्यरूपी समुद्रमां नहावायो स्त्रीननी अांखोए कीर्तिने | कलंकित करनारं चपलपणुं धोश् नाख्यु जे. // 55 // ते कुमार क्रीडा करवानी इलायी था वनः | P.P. Ac. Gunratnasuri M.S. Jun-Gun Aaradhak Trust

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