Book Title: Dhamil Charitra Bhashantar Part 02
Author(s): Shravak Hiralal Hansraj
Publisher: Shravak Hiralal Hansraj
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________________ धम्मि देतां काप्यन्यतो नये // 70 // हुं ज्ञातं मातुलोऽस्यस्या / नृपः संनिहिते पुरे // मुक्त्वेमां तत्र | सेविष्ये / सुहितः स्वहितं व्रतं // 11 ॥ध्यात्वेति तामुपेयासौ / गाढं गूढाशयो जगौ // यावः पुरः प्रिये पश्य / गतं माध्यंदिनं दिनं // // अद्येह नाय विश्रम्य / यास्यावः प्रातरातः // श्यू. 340 | चुषी स तां सार्थ-लाजदंगादचालयत् / / 73 // किं कुर्वे कोऽपि नोपैति / नियाहं वक्तुमक्षमा तेम ज्यांसुधी या मलिन स्त्री मारां निर्मल कुलने कलंकित करे नहि त्यांसुधीमां तेणीने क्यां. क अन्य स्थले ले जलं. // 70 // अरे! ठीक याद थाव्यु, आनो मामो यहीं नजीक नगर नो राजा ने माटे तेणीने त्यां नोमीने हुं सावधान थश्ने यात्महित करनारं व्रत सेवीश. // 1 // एम विचारी तेणीनी पासे आवी ते गुप्त अभिप्रायवाळो गुणवर्मा कुमार बोल्यो के, हे प्रिये! ते जो के मध्याह्नकाळ व्यतीत थयो , माटे यापणे आगळ जश्ये. // 7 // हे स्वामी! याजनो ... दिवस यहीं विश्राम लेश्ने बापने प्राते पागल चालीशुं, एम कहेती ते कनकवतीने साथ मलवाना मिषयी तेणे चालती करावी. // 3 // शुं करूं? को हजु श्रावतो नथी, अने हं पण | डरथी कई कही शकती नथी, एवी रीते व्याकुल थयेली पण ते कनकवती पाबु वाळी जोतीयकी P.P.AC.Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust

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