Book Title: Dhamil Charitra Bhashantar Part 02
Author(s): Shravak Hiralal Hansraj
Publisher: Shravak Hiralal Hansraj
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________________ धम्मि- मनाग्दुर्मनसं दृष्ट्वा। प्रियां नृपसुतस्ततः // नूनमेषा स्वबंधनां / स्मरती युन्निनाय सः // 30 // / सविशेषमसौ तस्याः / परीदितुमना मनः // देहचिंतामिषाद् द्वित्रि-पादपांतरितोऽजवत् // 35 // | तावद्भावोंचितं मौ / सा पुंस्त्रीयुग्ममालिखत // अमुचत् पंचमोद्गारान् / कोकिलेव कलध्वनिः // 333 // 40 // नत्तानीकृतवदोज-कोटिरामोटयद्गुजौ // ज्वरातेवातनोद्दीर्घ-दोर्षी निःश्वासबोरणिं // // 41 // विलक्ष्मदिपदिक्षु / चकुर्बाष्पजलाविलं // तत्सादाहोदय तद्वृत्तं / मुणवर्मा व्यचिंतयत् | कयु, केमके ते तेने पोताना जीवथी पण वहाली हती. // 37 / / हवे पोतानी प्रियाने त्यां जरा दुभायेला मनवाळी जोने गुणवर्मा कुमारे विचार्य के ख. रेखर याने पोताना बंधुन याद याव्या लागे जे. // 30 // परी तेणीनी विशेष प्रकारे परीदा करवानुं मन थवाथी ते कुमार देहचिंताना मिषयी बेत्रण वृदोनी पाउळ गुप्त रह्यो. // 3 // त्यारे तेणीए पोताना मननी श्वाप्रमाणे पृथ्वीपर स्त्रीपुरुषनुं जोड़ें चीतयु, तथा कोयलनीपेठे ते मनोहर स्वरथी पंचमरागना जझारो कहाडवा लागी. // 40 // पडी पोताना स्तनोनी धार खुल्लो करीने पोताना हाथ मरडवा लागी, तथा तापथी पीमायेलानीपेठे निःश्वासोनी लांबी लांबी श्रेणिवि. P.P.AC.Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust

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