________________ 247 धम्मि- गीतगुणा स्त्रीजिस्तत्रागान्नृपपुत्र्यपि // 30 // युग्मं // का श्रीः का जारती रंना / रती वा के साथ यतः परे // ध्यायतामिति नृपानां / पेतुस्तत्र समं दृशः / / 35 // श्यं भवतु वा मा वा / कि वस्या दर्शनेन नः // दूराध्वश्रमसाफल्य-मासीद्दध्युपा इति // 40 // ततो ज्ञाताखिलमापनामस्थानगुणान्वया // व्याजहार प्रतीहारी / कुमारीमियुदारवाक् // 41 // रूपसंपङितानंगा / एचकेली पालखोमां बेग्ली तथा गुप्त कामविलासोवाळी, // 37 / / अगामी चालती प्रिय स. खीना हाथमां आपेली ने वरमाला जेणीए एवी, पाठ रहेली स्त्रीन जेणीना गुणो गा रहेली ने एवी ते राजकन्या पण त्यां यावी. // 30 // था कुमारीशिवाय वळी बीजी लक्ष्मी, सरस्वती, रंभा के रती कोण हशे? एम विचारता ते सर्व राजानी दृष्टि एकीवखते तेणीनापर पडी. // // 30 // या कन्या नले आपणने मळो अथवा न मळो परंतु याना दर्शनथीज पापणो दूर देशशी भाववानो श्रम सफल थयो , एम ते राजा मानवा लाग्या. // 40 // पनी सर्व रा. जाननां नाम स्थान गुण तथा वंशने जाणारी वाचाल प्रतीहारी ते राजकुमारोने कहेवा लागी के, / / 41 // रूपनी संपदाथी कामदेवने जीतनारा या सर्व राजा श्राधमां जेम ब्राह्मणो तेम P.P.AC. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust