________________ के द्वितीय परिच्छेद : पाँच मिथ्यात्वी मतों का खण्डन तृतीय परिच्छेद : सृष्टि सम्बन्धी समीक्षा * चतुर्थ परिच्छेद : चार्वाक मत की समीक्षा * पञ्चम परिच्छेद : सांख्यमत की समीक्षा * निष्कर्ष 366-379 380-384 385-386 387-389 390 षष्ठ अध्याय 391-414 . आचार्य देवसेन की कृतियों में अध्यात्मपरक दृष्टि * प्रथम परिच्छेद : स्वगत तत्त्व और परगत तत्त्व * द्वितीय परिच्छेद : विभिन्न उपमाओं वाला आत्मा तृतीय परिच्छेद : स्वशुद्धात्मतत्त्व की प्राप्ति का उपाय 392-397 398-403 404-406 407-408 409-413 चतुर्थ परिच्छेद : परम लक्ष्य शुद्धात्मा सिद्ध परमेष्ठी पञ्चम परिच्छेद : अन्य दर्शनों में आत्मतत्त्व * * निष्कर्ष 414 उपंसहार 415-424 परिशिष्ट 425-433 * प्रथम परिच्छेद : जिनकल्प और स्थविरकल्प -426-428 * द्वितीय परिच्छेद : विभिन्न संघों की उत्पत्ति 429-433 सन्दर्भ ग्रन्थ सूची 434-441 vi Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org