Book Title: Devsen Acharya ki Krutiyo ka Samikshatmak Adhyayan
Author(s): 
Publisher: ZZZ Unknown

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Page 5
________________ 88-93 94-96 * द्वितीय परिच्छेद : उपनय का स्वरूप एवं भेद ततीय परिच्छेद : नय की अपेक्षा स्वभाव वर्णन * चतुर्थ परिच्छेद : प्रमाण का स्वरूप एवं भेद * निष्कर्ष 97 98-99 तृतीय अध्याय 100-201 101-193 ___ आचार्य देवसेन की कृतियों में गुणस्थान विवेचन (आत्मविकास की अवस्थायें) * प्रथम परिच्छेद : गुणस्थान का स्वरूप एवं भेद द्वितीय परिच्छेद : भाव एवं गुणस्थान * तृतीय परिच्छेद : ध्यान एवं गुणस्थान * चतुर्थ परिच्छेद : लेश्या एवं गुणस्थान * निष्कर्ष 194-195 196 197-199 200-201 चतुर्थ अध्याय 202-362 आचार्य देवसेन की कृतियों में साधनापरक दृष्टि * प्रथम परिच्छेद : आराधना का स्वरूप एवं भेद * द्वितीय परिच्छेद : ध्यान का स्वरूप एवं भेद * तृतीय परिच्छेद : श्रावक के अष्ट मूलगुण और बारह व्रत * चतुर्थ परिच्छेद : दान का स्वरूप, भेद एवं फल * पञ्चम परिच्छेद : पुण्य का मुख्य कारण - पूजा * निष्कर्ष 203-239 240-291 292-321 322-345 346-360 361-362 पञ्चम अध्याय 363-390 आचार्य देवसेन की कृतियों में विभिन्न मतों की समीक्षा * प्रथम परिच्छेद : विभिन्न मतों की उत्पत्ति, कारण और समय 364-365 www.jainelibrary.org For Personal Private Use Only Jain Education International

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