Book Title: Bhaktamar Stotra Satikam
Author(s): Mantungasuri, Gunakarsuri
Publisher: Shravak Hiralal Hansraj

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Page 32
________________ सटीक . . जक्ता पक्ष / न सोहए जहिं गालो॥१॥ श्रय यैः परमाणजिस्लेऽणव शनि पीनरुत्यं, तत्रेयं व्याख्या-धौः || दारिकवर्गणायामगव्येन्योऽनंतगुणागुनिष्पन्नाः स्कंधा याताः संति, तेषुस्कंधेषणवः स्तोक एव जि. नरूपपरमाणवः अणुशब्दः स्तोकवाची. अथवा महाकविप्रयुक्तत्वान्मंत्रानायेन स्तुतिविशादनापहा. नाहान पौनरुत्यं, उक्तं च-सशाणतवोसहेसु / उवएसथुपयाणेसु / / संतगुणकित्तणेसु / न हुति पुण्रुत्तदोसा ॥१॥इति, मंत्रश्चान-ॐ हीं चउदसपुवीणं, ॐ हॉपयाणुसारिणं, ॐ ॐ एगारसंग धारीणं, ॐ ही उज्जमईणं, ॐ ही विपुलमईणं स्वाहा. सारस्वती विद्या, इतिवृत्तार्थः॥११॥ महिमा कथा यथा-वयीरूपं विधायोचै-बहुरूपो व्यजूंजत ॥जिनरूपं चिकीर्षुस्तु। देव्याहत्य विमंषितः // 1 // अंगदेशे चंपापुरि कर्णो राजा, जिनधर्मरक्तो नक्तामरस्तवजापसको मंत्री सुबुधिः.अन्यदा कश्चि चेटकी बहुरूपकरणपटुपसदसि समागतः. स चेटकानेन शंखगदाचशाशालिज कृष्णवर्ण तार्यासनं लक्ष्मीनाथं विषामकार्षीत् . नतो धवलवृषजवाहनं धवलवर्ण चंऽशेखरं गंगाधरं जटामं. डितमौलिं सर्वागभुजंगाचरणं भस्मलिप्तशरीरं शिवाकांत शिवपदर्शयत् . तदनु राजहंसापनं चतुर्मु || खमतिपवित्रवचनं सावित्रीसनाथं विरंचिं व्यरचयत् . अन्येऽपि स्कंदबुधगणपतिप्रभृतयः सुरा नृत्यं / /

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