Book Title: Bhaktamar Stotra Satikam
Author(s): Mantungasuri, Gunakarsuri
Publisher: Shravak Hiralal Hansraj
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________________ नक्ता/ न्मुद्रा // 27 // प्रासुकजलं सिहानं / निजि फलं सुशुष्कमुलदलं // योग्यं देयमृषिय-स्ते / / सटीक | गुः स्वाश्रयमिति श्रुत्वा / / श्ए / पात्रं श्रीऋष नजिनः / श्रेयांसः श्रेयसान्वितो दाता / वित्तं शु | छेकुरसो / न विद्यते तलेऽन्यत्र / / 30 // श्रमणोपासकभावे / श्रेयांसः प्रथम एव जुवि विदितः ए४ / / मुक्तः क्रमेण राज्यं / प्रपाब्य पूर्वाणि यांसि // 31 // इति येऽन्यनवालोकात / पुनरपि द | दृशुजिनं गुणावासं / तोषं जेजुस्तेऽपर-देवैदृष्टैरपि प्रथमं / / 32 // इति वृत्तगार्थः // 11 // श्रथ महिमकथा यथा-श्रीजीवदेवसूरीं। / विहृता देवपत्तने / पौराणां दर्शिता यैस्तु / शिवब्रह्माच्युतादयः // 25 // पुरा श्रीवायडमहास्थाने परकायप्रवेशविद्याविदः श्रीजीवदेव मुरयः. जक्तामरस्तवैकविंशं वृत्तं साम्नायं दपायां जपंतस्तेऽप्रतिचक्रया सर्वदेवप्रकटनशक्तयः कृताः, ते श्रीगृर्जरा त्रतः सुराष्ट्रे देवपत्तनपुरं जग्मिवांसः. तत्र श्रीसोमनायमहिमा महीयान् . तद्भक्ता यात्रिका जना | अहमहमिकयागत्य नमति शिवं. श्रावकाः कंकदुकसायाः केचन ते गुरुसन्मुखं गता. सूरभिध मनिर्वाहप्रश्नः कृतः, तेऽप्यूचुरत्र मिथ्यादृग्मतस्यैवैकता, तत्कष्यं धर्मनिर्वाहः? ततः श्रीजीवदेवसूरयः श्रावकैः साकं सोमनायप्रासादमगबन् , हृष्टान्तद्भक्ताः, अहो श्वेतांबरा श्रपि शिवनमनायाजग्मुः. तः |

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