Book Title: Bhaktamar Stotra Satikam
Author(s): Mantungasuri, Gunakarsuri
Publisher: Shravak Hiralal Hansraj

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Page 123
________________ सटीक भक्तः लब्धप्रनाः / सिघांतांबुधिकुंनसंभवनिनाः खन्मनीषाः शुनाः // जातः श्रीगुणशेखराभिधगुरुस्त स्मात्पुनर्निर्मलः / शीलश्रीतिलको जगत्तिलक श्यासीद्गुरुग्रामणीः // 3 // समद्यपद्यसुकविः कविः तत्वध्याता / चारित्रचारुकरुणः करुणास्तकामः // तत्पट्टनुषणमणिर्गतदूषणोऽभूत् / श्रीमान मुनींद्र गुणचंद्रगुरुरिष्टः // 4 // संप्रत्यवनौ जयिनां / निर्देशादभयदेवसूरीणां // गुणचंद्रसूरिशिष्याणुगुणाकरः सूरिस्टपमतिः // 5 // अनुतमर्थ दधतीं / बहुश्रुतमुखश्रुतप्रनावकथां // भक्तामरस्तवस्या -जिनवां वृत्तिं व्यधादेनां // 6 // वर्षे कविंशाधिक--चतुर्दशशतीमिते च वर्षौ // मासि न भस्ये रचिता / सरस्वतीपत्तने वृत्तिः / / 7 / / यद्गदितमर्थकूटं / यलदाणशब्दतश्च दुष्ट मिह // तत्सा धुनिः सुधाभिः / शोध्यं सद्यः प्रसद्य मयि // 7 // जक्तामरस्तवादार-विवृत्तिं कृत्वा यदर्जितं सु कृतं // तेनासौ सुकृतजनो / निरामयः स्यात् सदानंदी // 5 // पंचदशशतान्यत्र / हासप्ततीसमधिकानि गणितानि // निःशेषवर्णवृंदा-न्यनुष्टुगां प्रायशः संनि // 10 // श्रीरस्तु॥ - // समाप्तोऽयं ग्रंयो गुरुश्रीमच्चारित्रविजयसुप्रसादात् // लब्ध्वा यदीयचरणांबुजतारसारं / स्वादबटाधरितदिव्यसुधासमूहं //

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