Book Title: Bhaktamar Stotra Satikam
Author(s): Mantungasuri, Gunakarsuri
Publisher: Shravak Hiralal Hansraj

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Page 74
________________ भक्ताः / // 15 // कालक्रमान्मृत्युमवाप भद्र-स्वनावधीनिर्धनधार्मिकायः // मुनीशदानार्जिनपुण्य नश्व / / / र सोऽपि दणेन क्षितिपत्वमाप // 23 // पृथ्वीपतिश्रीघनवाहनात्मजः / पाथोधिरोधोगतवाहवाहनः॥ सत्वं प्रजुत्वोदयमेघवाहनः / दोणीश्वरोऽन वि शातवाहनः // 24 // विक्रीय दारुण्युदरं नरियः / स तघ्नत्तघ्नतां दधानः // ध्यानेन चार्तेन मृतस्तिमित्वं / गोदाजले प्रापदसातधाम // 25 // बेमाधिरूढं चिरकालदृष्टं / नवंतमारादवलोक्य जाता / / जातिस्मृतिस्तस्य ऊषस्य दान-सादी सु. रो वाढमहासयत्तं // 26 // श्रास्तां समा पूर्व नवेऽटपकस्य / दानाददानादधुना युवां तौ॥ एको न पोऽन्यश्च तिमिस्तदेषा / पुण्यांहमोव्युटिरिति प्रतीता // 27 // ज्ञातं त्वयावि दितिपाल सत्यं / न हि स मीनः खलु कष्टकारी / तदास्य हास्यात्तदहो न ते नी-न देशसैन्यादिभयं कदाचित् / / 14 / / यन्यैरप्युक्तं-मीनानने प्रतसिते जयमेव चात्र / श्रीसातवाहनमृपिनविता हि नद्यां / / यः सक्थु. निमुनिमकार्यत पारणं प्रास् / देवावंतमुपलभ्य ऊषो जहास // 2 // सुपात्रदानस्य फलं विशा. लं / विनाव्य नित्यं तदिदं प्रदेयं // अदत्तदानाश्व जनाः पृथिव्यां / न रूपसौजाग्यसुखा दाजः // 30 // नक्तं च-दानं महिमनिदानं / कुशलानिधानं कलंककरिसिंहः / श्रीकलकंठीचूतः / सि. /

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