Book Title: Bhairava Padmavati Kalpa
Author(s): Mallishenacharya, Shantikumar Gangwal
Publisher: Digambar Jain Kunthu Vijay Granthamala Samiti

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Page 11
________________ प्रकाशकीय मुझे हार्दिक प्रसन्नता है कि हमारी ग्रंथमाला समिति ने दस महत्त्वपूर्ण पुष्पों लघुविद्यानुवाद, श्री चतुर्विशति तीर्थकर अनाहत यंत्र मंत्र विधि, तजो मान करो ध्यान, हुम्बुज श्रमण सिद्धान्त पाठावलि, पुमिलन, श्री शीतलनाथ पूजा विधान (संस्कृत) वर्षायोग स्मारिका, श्री सम्मेद शिखर माहात्म्यम्, रात्रि भोजन त्याग कथा, श्री शीतलनाथ पूजा विधान (हिन्दी) का प्रकाशन करवाने के बाद ग्यारहवाँ महत्त्वपूर्ण पुष्प श्री भैरव पद्मावती कल्पः ग्रंथ के प्रकाशन को करवाने में सफलता प्राप्त की है। इस ग्रंथ के प्रकाशन का कार्य वास्तव में मुझ जैसे अल्पज्ञानी के लिये बहुत ही जटिल एवं मुश्किल था, फिर भी पूज्य प्राचार्यों के मगल मय शुभाशीर्वादों के साथ-साथ परमपूज्य श्री १०८ गणधराचार्य कुंथु सागरजी महाराज के शुभाशीर्वाद से कार्य प्रारम्भ होकर निविघ्न पूर्ण हुआ। यह मैं श्री जिनेन्द्र प्रभु की कृपा व परमपूज्य प्राचार्यो के शुभाशीर्वाद का ही फल मानता हूं। प्रस्तुत ग्रंथ की हिन्दी विजया टीका परमपूज्य वात्सल्य रत्नाकर, श्रमरगरत्न, श्री १०८ गरगधराचार्य कुंथ सागरजी महाराज ने बहुत ही कठिन परिश्रम से की है। इस का अन्दाज पाठकगरण स्वयं इस ग्रंथ को पढ़कर लगा सकेंगे। इस ग्रंथ की टीका कर के प्रकाशन करवाने का गणधराचार्य महाराज का यही लक्ष्य रहा है कि मंत्र शास्त्र, जो कि जिनागम का एक अंग है वह भी सुरक्षित रहे। जिसके विषय में ग्रंथ के प्रारम्भ में महाराज ने अपने विचार आशीर्वादात्मक वचनों में स्पष्ट शब्दों में लिख ही दिये हैं 1 पाठकों से अनुरोध है कि ध्यान से पढ़कर गणधराचार्य महाराज की आज्ञानुसार ही अनुसरण करें।

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