Book Title: Bhagvana Rushabhdev Diwakar Chitrakatha 002 Author(s): Subhadramuni, Shreechand Surana Publisher: Diwakar Prakashan View full book textPage 7
________________ भगवान ऋषभदेव कुलकर नाभि के समय तक मानव समाज मर्यादा पालक और शान्तिप्रिय था। धीर-धीरे मनुष्य धीठ स्वभाव का होने लगा, अपराध की मनोवृत्ति बढ़ी। अव्यवस्था फैलने लगी। तब जनता घबराकर कुमार ऋषभदेव के पास शिकायत करने आई। "समाज को सुव्यवस्थित रखने के लिए आपको एक नि, एवं साहसी राजा की आवश्यकता है। आप लोग कुलकर नाभिराय से राजा की माँग करें।" कुमार, हमारी हमारा मार्गदर्शन रक्षा कीजिए। कीजिए। NOT JuN |तात ! हमें एक रामा दीजिए जो हम सबका संरक्षण करने में समर्थ हो। ऐसा सुयोग्य संरक्षक तो ऋषभ ही हो सकता है। हम कुमार ऋषभदेव को अपना राजा स्वीकार करते हैं। राजा ऋषभदेव की जय हो। ज . AN अनाभिराय ने ऋषभदेव को राजा घोषित कर दिया। Jain Education International For Pilvale & Personal use only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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