Book Title: Bhagvana Rushabhdev Diwakar Chitrakatha 002
Author(s): Subhadramuni, Shreechand Surana
Publisher: Diwakar Prakashan

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Page 13
________________ भगवान ऋषभदेव भगवान ऋषभदेव के साथ कच्छ और महाकच्छ नाम के दो राजा भी दीक्षित हुए थे। उस समय उनके पुत्र नमि और विनमी दूर देश में गये हुए थे। अब नमि विनमी वापस लौट रहे थे तो उन्हें अपने पिताओं को जंगल में तापस के भेष में घमते देखा। ओह / पिताजी किस हाल में मंगल-जंगल घूम रहे हैं, इनके राज्य का क्या हुआ? ET पितामाह ने सभी को राज्य दिया.तो हमें "पिताश्री ऋषभदेव ने अपना राज्य सभी पुत्रों में बाँट कर श्रमण व्रत क्यों नहीं दिया? हम भी पितामाह ग्रहण कर लिया है।" हम भी उनके साथ श्रमण बन गये हैं। से अपना अधिकार लेगें।" परन्तु ऋषभदेव तो मौन व्रत धारण किये हुए थे। नमि-विनमी ढूँढते हुए ऋषभदेव के पास आ पहुँचे। और उनसे बोले "प्रभु / आपने भरत आदि सभी को राज्य दिया। तो हमें भी राज्य दो। आप द्वारा प्रदत्त अल्प वैभव भी हमारे लिये 4 प्रसाद होगा।" MARAT fidobal Jain Education International For Private Sersonal Use Only www.jainelibrary.org


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