Book Title: Bhagvana Rushabhdev Diwakar Chitrakatha 002
Author(s): Subhadramuni, Shreechand Surana
Publisher: Diwakar Prakashan

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Page 15
________________ भगवान ऋषभदेव भगवान ऋषभदेव को प्रव्रजित हुये एक वर्ष बीत चुका था। परन्तु उन्हें अभी तक विधिपूर्वक शुद्ध आहार प्राप्त नहीं हुआ। अन्न-पानी के अभाव से उनका शरीर अत्यन्त दुर्बल हो गया था। गाँव-गाँव में विहार करते हुये भगवान एक दिन हस्तिनापुर में पधारे। aa Sujee उस समय हस्तिनापुर में राजा सोमप्रभ का राज्य था। उनके पुत्र श्रेयांस कुमार ने उस रात श्रेयांस कुमार ने स्वप्न फल पर विचार किया। एक स्वप्न देखा कि वह मलिन हुए भेरूपर्वत को अमृत से थोकर उज्ज्वल बना रहा है। अगले दिन सुबह राजकुमार महल के झरोखे में बैठा हुआ था।उस समय भगवान ऋषभदेव वहाँ से गुजर रहे थे। उनको | देखकर श्रेयांस कुमार को अपने पिछले जन्म की स्मृति हुई। "ये तो मेरे प्रपितामह भगवान ऋषभदेव हैं। पिछले जन्म में मैंने भी इनके साथ श्रमण जीवन बिताया था। ओह ! प्रभु ने एक वर्ष से अन्न जल ग्रहण नहीं किया है।" H Jain Education International 13 For Private & Personal Use Only अवश्य ही मुझे विशिष्ट लाभ होने वाला है। ६० www.jainelibrary.org

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