Book Title: Bhagvana Rushabhdev Diwakar Chitrakatha 002
Author(s): Subhadramuni, Shreechand Surana
Publisher: Diwakar Prakashan

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Page 23
________________ भगवान ऋषभदेव प्यास के कारण परेशान होकर वह वृक्ष की छाया में लेट गया। नींद की झपकी लगी तो उसने एक स्वप्न देखा 11 Kawa वह नदी पर गया और नदी का सारा पानी भी पी गया। फिर भी उसका गला सूखा ही रहा । She पानी के लिये इधर-उधर भटकते हुए उसे भीगे तिनकों का ढेर दीखा। वह तिनकों को निचोड़-निचोड़ कर बूँद-बूँद पानी पीने की चेष्टा करने लगा। Jain Education International Twee वह कुये के पास गया और कुये का सारा पानी पी लिया फिर भी उसकी प्यास नहीं बुझी । समुद्र का सारा पानी भी उसने पी लिया, परन्तु उसकी प्यास शान्त नहीं हुई। Se For Private 2 Personal Use Only 3. F तभी हाथ के एक झटके से उसकी नींद टूट गई. स्वप्न भंग हो गया। फिर वही सूखा रेगिस्तान / www.jainelibrary.org/

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