Book Title: Bhagvana Rushabhdev Diwakar Chitrakatha 002
Author(s): Subhadramuni, Shreechand Surana
Publisher: Diwakar Prakashan

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Page 25
________________ भगवान ऋषभदेव ऋषभदेव के द्वितीय पुत्र बाहुबली बल एवं शक्ति में भरत से भी बढ़ चढ़ कर थे। उन्हें भी भरत की अधीनता स्वीकारने का सन्देश मिला। अठानवें भाइयों द्वारा राज्य त्यागकर दीक्षा लेने की घटना उनके मन को कचोट रही थी, जिस पर बड़े भाई भरत का यह सन्देश जले पर नमक जैसा लगा। बाहुबलि तिलमिला उठे। पिताजी द्वारा प्रदत्त राज्य पर भरत का कोई अधिकार नहीं है, फिर भी वह अनधिकार चेष्टा करेगा तो इसका निर्णय युद्ध भूमि में बाहुबलि की बलिष्ट भुजाएँ करेंगी। बाहुबलि को अधीन किये बिना भरत का षट् खण्ड चक्रवर्तीत्व अपूर्ण रह जाता था, इसलिए उसने बाहुबलि के साथ युद्ध की घोषणा की। दूत ने वापस आकर सम्राट भरत को बाहबलि। का संदेश सुनाया। हमें किसी की अधीनता स्वीकार नहीं है। युद्ध की तैयारी की जाए। Jain Education International 23 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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