Book Title: Bhagvana Rushabhdev Diwakar Chitrakatha 002
Author(s): Subhadramuni, Shreechand Surana
Publisher: Diwakar Prakashan

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Page 28
________________ बार-बार की हार से खिन्न होकर भरत अपनी मर्यादा भूल 'बैठे और गुस्से में बाहुबलि का सिर काटने के लिये चक्र फैंका। 10 ALPOOL क्रोधित बाहुबलि भरत के लिए पर प्रहार करने के लिए अपनी मुट्ठी उठाकर भरत की तरफ दौड़े, भरत भयभीत हो गये। भगवान ऋषभदेव 9.0 Jain Education International कैसे करता, परन्तु वह तो दिव्य चक्र था, बन्धुघात इसलिये बाहुबलि की प्रदक्षिणा करके वह वापस आ गया। a यह दृश्य देखकर देवराज इन्द्र तथा सैकड़ों देव, मंत्री पुरोहित आदि बाहुबलि के सामने आकर प्रार्थना करने लगे। AD Mirr हे युग के महाबलि / क्रोधको शान्त करो। बन्धु हत्या से इक्ष्वाकु वंश की कीर्ति पर अपयश का दाग लग जायेगा। आप क्षमावीर हैं, क्षमा कीजिए। 26 For Private & Personal Use Only - RAMIN Rec X INTINTUN www.jainelibrary.org

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