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बार-बार की हार से खिन्न होकर भरत अपनी मर्यादा भूल 'बैठे और गुस्से में बाहुबलि का सिर काटने के लिये चक्र फैंका।
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क्रोधित बाहुबलि भरत के लिए पर प्रहार करने के लिए अपनी मुट्ठी उठाकर भरत की तरफ दौड़े, भरत भयभीत हो गये।
भगवान ऋषभदेव
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कैसे करता,
परन्तु वह तो दिव्य चक्र था, बन्धुघात इसलिये बाहुबलि की प्रदक्षिणा करके वह वापस आ गया।
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यह दृश्य देखकर देवराज इन्द्र तथा सैकड़ों देव, मंत्री पुरोहित आदि बाहुबलि के सामने आकर प्रार्थना करने लगे। AD
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हे युग के महाबलि /
क्रोधको शान्त करो। बन्धु हत्या से इक्ष्वाकु वंश की कीर्ति पर अपयश
का दाग लग जायेगा। आप क्षमावीर हैं, क्षमा कीजिए।
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